मुस्लिम मोहल्ले में ‘कैराना’ की पटकथा, टैक्स बकायेदारी की आड़ में दुकानदारों को खदेड़ने की कोशिश

  • मकान पर छह लाख टैक्स बकाया, लेकिन सिर्फ दुकान सील हुई
  • सिर्फ डिमांड नोटिस पर हिंदू दुकानदार के प्रतिष्ठान पर कार्रवाई
  • मुस्लिम जमीन मालिक की दुकानों पर दिखावे का एक्शन हुआ
  • आगे का शटर सील किया, पीछे का मुख्य दरवाजा छोड दिया

भास्कर ब्यूरो

कानपुर। मामला सिर्फ हाउस टैक्स वसूली के लिए सख्ती का नहीं है, बल्कि मुस्लिम इलाके में आबाद हिंदू दुकानदारों को सरकारी सिस्टम की मदद से जबरन खदेड़ने की साजिश से जुड़ा है। शहर के अंदर कैराना जैसा माहौल बनाने की कोशिश के खिलाफ से गुस्से का ज्वालामुखी सुलग रहा है। सिर्फ डिमांड नोटिस के जरिए यतीमखाने के पास चुनिंदा दुकानों को सुबह के सन्नाटे में सील कर दिया गया। बकायेदारी के लिए भूखंड मालिक जिम्मेदार है, लेकिन उसकी दुकानों पर रहम किया गया। अलबत्ता बदनामी से बचने के लिए छोटे शटर को सील किया गया, लेकिन आठ-दस दुकानों वाली मार्केट पीछे के मुख्य दरवाजे को सील करने की जहमत नहीं उठाई गई। नगर-निगम की मिलीभगत से खदेड़ने की साजिश के खिलाफ दुकानदारों ने मोर्चा खोल दिया है। अल्टीमेटम दिया गया है कि, सील नहीं खुली तो पलायन करेंगे, लेकिन पोल खोलने के बाद।

अस्सी साल पुराने किरायेदार पर इकतरफा कार्रवाई

परेड इलाके में यतीमखाने के सामने सतीशचंद दुबे का मेडिकल स्टोर है। वर्ष 1942 में सतीश के पिता ने तत्कालीन जमीन मालिक मिस्टर गर्ग से दुकान को किराये पर लिया था। वक्त के साथ मालिकान बदलते गए, लेकिन कारोबार पर आंच नहीं आई। दो दशक पहले एच.एस. सिद्दीकी से सैय्यद कादरी ने जमीन को खरीदा तो हिंदू दुकानदारों को साम-दाम-दंड-भेद के जरिए खदेड़ना शुरू कर दिया। सतीश सरीखे चुनिंदा दुकानदारों ने नई दरों पर किराया अदा करना का प्रस्ताव रखा, लेकिन खारिज कर दिया गया। ऐसे में जबरदस्ती के खिलाफ मोर्चा लेना मजबूरी था। इंकलाब की गूंज होने पर सैय्यद कादरी ने किराया लेने से इंकार किया तो मामला अदालत में पहुंच गया। सतीशचंद ने साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि, जमीन मालिक ने जब-तब हाउस टैक्स की बकायेदारी की नोटिस भेजी तो अदालत में जमा होने वाले किराये के साथ-साथ टैक्स की धनराशि को भी जमा किया है।

शनिवार को कारोबार पर सील का ग्रहण

शुक्रवार देर रात तक सतीश दुबे का मेडिकल स्टोर खुला था। शनिवार की सुबह सात बजे नगर निगम की टीम ने 5.74 लाख का डिमांड नोटिस चस्पा करने के साथ मेडिकल स्टोर के साथ-साथ एक अन्य दुकान को सील कर दिया। गौरतलब है कि, मुस्लिम मालिक काफी समय से इन्ही दुकानदारों को खदेड़ने के लिए पैंतरेबाजी आजमा रहा है। इस कार्रवाई के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने सैय्यद कादरी के कब्जे वाले हिस्से में सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करते हुए खुद की गर्दन बचाने का प्रयास किया है। नगर निगम ने सैय्यद कादरी की मार्केट के छोटे शटर पर सील लगाई, लेकिन पीछे की ओर मौजूद मार्केट के मुख्य शटर को सील करने की जहमत नहीं उठाई। सवाल-जवाब करने पर नगर निगम के जिम्मेदार एक-दूसरे जिम्मेदारी डाल रहे हैं।

जोनल अधिकारी को सब कुछ मालूम नहीं

इकतरफा कार्रवाई के सवाल पर जोन-एक के जोनल अधिकारी राजेश सिंह का कहना है कि, कोर्ट में टैक्स जमा करने से लेना-देना नहीं है, क्योंकि मुकदमे में नगर निगम को पार्टी नहीं बनाया गया है। इसके अतिरिक्त डिमांड नोटिस पर सील करना इसलिए गलत नहीं है, क्योंकि राजस्व बढ़ाने के लिए सख्ती करना जरूरी है। मिलीभगत के मुद्दे पर अव्वल बताया कि, जमीन मालिक के हिस्से का टैक्स अलग निर्धारित हुआ है, जबकि व्यापारी के किरायेदारी वाले हिस्से का टैक्स अलग निर्धारित हुआ है। ऐसे में बकायेदारी वाले हिस्से में सीलिंग की कार्रवाई हुई है। पीछे का गेट खुला और आगे छोटे शटर में दिखावे की कार्रवाई के सवाल पर जोनल अधिकारी राजेश सिंह ने कहाकि, मुझे जानकारी नहीं है, पड़ताल कराने के बाद कार्रवाई करेंगे।

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