
कानपुर। ACP मोहसिन खान के खिलाफ चल रहे यौन उत्पीड़न के मामले और उनके सस्पेंशन पर हाईकोर्ट की ओर से राहत मिलने से जुड़ी है। कानपुर IIT स्कॉलर के यौन उत्पीड़न में फंसे एसीपी मोहम्मद मोहसिन खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राहत मिली है। कोर्ट ने उनके सस्पेंशन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। आइए, मुख्य बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:
- हाईकोर्ट का फैसला :
- इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने मोहसिन खान की सस्पेंशन पर रोक लगा दी है।
- कोर्ट ने सरकार को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
- कोर्ट ने यह भी कहा है कि एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन रखना नौकरी की शर्तों का उल्लंघन नहीं है।
- मोहसिन खान का तर्क :
- उन्होंने तर्क दिया है कि यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 1956 के नियम 29(1) के तहत, पहली शादी के रहते हुए दूसरी शादी करना कदाचार नहीं है।
- कानूनन, विवाहित रहते हुए किसी दूसरी महिला से संबंध बनाए रखना कदाचार नहीं माना जाता, इसलिए उनका सस्पेंशन सही नहीं है।
- इस तर्क के साथ उन्होंने हाईकोर्ट में अपने निलंबन को चुनौती दी है।

- शिकायत का पूरा मामला :
- छात्रा ने दिसंबर 2024 को कानपुर के कल्याणपुर थाने में मोहसिन खान के खिलाफ शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है।
- उसने बताया कि मोहसिन खान ने खुद को अविवाहित दिखाकर प्रेम जाल में फंसाया और फिर महीनों तक यौन शोषण किया।
- FIR के अनुसार, छात्रा ने दिसंबर 2023 में उसकी मुलाकात हुई, और बाद में दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं।
- खान ने अपने तलाक का झांसा दिया, लेकिन बाद में पता चला कि वह धोखेबाज हैं और उनकी पत्नी मार्च 2024 से गर्भवती थीं।
- छात्रा के पास उनके साथ की तस्वीरें और स्क्रीनशॉट हैं, जो उसकी बातों को समर्थन करते हैं।
- कार्रवाई और प्रतिक्रिया :
- पुलिस ने मोहसिन खान को तत्काल कानपुर से हटा कर लखनऊ मुख्यालय में अटैच कर दिया।
- छात्रा ने इस मामले में डीजीपी को मेल भेजकर इंसाफ की मांग की है।
- मामले की शिकायतें एससी/एसटी आयोग, नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन सहित अन्य प्लेटफार्मों पर भी की गई हैं।
- छात्रा का आरोप है कि वर्दी का रसूख होने के कारण अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाई है और उसे फंसाने की कोशिशें हो रही हैं।
- कोर्ट का निर्णय और आगे की प्रक्रिया :
- हाईकोर्ट ने मोहसिन खान की सस्पेंशन पर रोक लगाई है।
- कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय की है।
यह मामला कानपुर में पुलिस व प्रशासन की भूमिका, नैतिकता, और कानून व्यवस्था के मुद्दों को उजागर करता है। कोर्ट का यह फैसला इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि नौकरी में रहते हुए भी व्यक्तिगत जीवन के नियम और कानून कैसे लागू होते हैं और उनके उल्लंघन पर क्या कदम उठाए जाते हैं।
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