
- भैरव घाट पर पालतू कुत्ते का रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार
कानपुर। सनातन की परंपरा में श्मशान घाट पर सिर्फ मनुष्यों के अंतिम संस्कार का रिवाज है, लेकिन घर के सदस्य जैसे एक पालतू कुत्ते की मृत्यु पर मालिक ने उसे परिवार के सदस्य की तरह दुनिया से विदा किया। दुनिया को अलविदा कहने वाले पालतू कुत्ते का नाम था – ‘गब्बर’। भैरव घाट पर गब्बर के अंतिम संस्कार के समय कुछ लोगों ने दबी जुबान से आपत्ति जताई, लेकिन खुलकर बोलने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ।
‘गब्बर’ के मालिक युवराज के मुताबिक, 21 मार्च 2015 को पैदा हुआ गब्बर की इसी साल 21 मार्च को तबीयत खराब हुई तो बिगड़ती गई। तमाम इलाज के बावजूद, 10 जून की दोपहर में तबीयत ज्यादा बिगड़ी और देखते-देखते गब्बर ने साथ छोड़ दिया। तबीयत खराब होने पर युवराज तत्काल उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास पहुंचे थे, लेकिन गब्बर को बचाना मुमकिन नहीं हुआ। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में फूलों से सजे स्थान पर गब्बर का शव रखा गया। मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना के दरमियान, विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया।
इस मौके पर युवराज की आंखें नम थीं और उन्होंने कहा, “गब्बर सिर्फ एक कुत्ता नहीं था, बल्कि पारिवारिक सदस्य था। युवराज ने मुखाग्नि देने के बाद बताया कि, गब्बर न सिर्फ लतू था, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा था। स्थानीय लोगों के अनुसार, गब्बर बेहद समझदार और वफादार था। इसी कारण कॉलोनी के सभी लोग उससे काफी स्नेह रखते थे।