कानपुर : ऋषि की कृपा से साकेत दरबार में आशीर्वाद की आढ़त

  • दारोगा से क्षेत्राधिकारी बने शिष्य ने जुटाई थी खाकी टीम
  • 90 के दशक में दरबार ने कराए थे दनादन कई एनकाउंटर
  • साकेत सिफारिश पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन का तोहफा
  • शिष्य ने दरबार का आशीर्वाद लेने को जोड़ी थी खाकी टीम

कानपुर। साकेत दरबार के इशारे पर शहर के किसी भी थाने में फर्जी मुकदमा दर्ज होने का तिलिस्म दरबार में खाकी की सलामी से जुड़ा था। इक्का-दुक्का नहीं, तमाम क्षेत्राधिकारी और इंस्पेक्टर कानूनी मशविरा की आड़ में साकेत दरबार का आशीर्वाद लेने दक्षिण शहर पहुंचते थे।

दरअसल, नब्बे के दशक में तमाम कुख्यात अपराधियों के लिए साकेत दरबार सुरक्षित शरणस्थली था, लेकिन गुजरते वक्त के साथ दरबार की शान में गुस्ताखी करने पर सफेदपोश अघोषित कप्तान ने आईपीएस लाबी का दुलारा बनने के लिए शरणार्थी अपराधियों का एनकाउंटर कराने से परहेज नहीं किया। उस दौर में एनकाउंटर के एवज में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का रिवाज था। ऐसे में दरबार की कृपा से कंधे पर स्टार बढ़ने के बाद एक शिष्य की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

दरबार पर ऋषि कृपा से तमाम खाकी वर्दी वाले आशीर्वाद की आढ़त यानी मंडी में कृपा हासिल करने के लिए पहुंचने लगे। दरबार ने वक्त-वक्त के कप्तानों से निकटता के जरिए सलामी ठोंकने वालों को कमाऊ थाना-चौकी का प्रभारी बनवाया। धीर-धीरे साकेत दरबार का खाकी महकमे में जबरदस्त नेटवर्क तैयार हो गया और इशारों पर फर्जी मामलों में एफआईआर दर्ज कराने का ग्राफ गगनचुंबी होता गया।

लखनऊ-हरदोई से आगरा-रुहेलखंड तक शिष्य तैनात

यूं तो दरबार में हाजिरी लगाने वालों की तादाद अनगिनत है, लेकिन अतिप्रिय दरबारियों में चुनिंदा नाम चर्चित हैं। बीते महीने तक पड़ोसी जनपद में तैनात क्षेत्राधिकारी ने अपने साथियों को दरबार से जोड़ने में काफी पसीना बहाया था। ऋषि कृपा के कारण छोटी छोटी मेहरबानी पर संतोष करने वाले ठाकुर क्षेत्राधिकारी आजकल राजधानी के बगल में हरि के द्रोही हिरण्यकश्यप के शहर बतौर क्षेत्राधिकारी तैनात हैं। इसी प्रकार आनंद वाले दूसरे शिष्य रुहेलखंड के एक जनपद में बतौर क्षेत्राधिकारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कुछ वक्त पहले तक कमिश्नरेट के पश्चिम जोन में एसीपी की जिम्मेदारी संभालने वाले ब्राह्मण शिष्य आजकल राजधानी में नियुक्त हैं। फिलवक्त ताजनगरी में तैनात एक इश्किया मिजाज इंस्पेक्टर पर कानपुर में तैनाती के दरमियान दरबार की मेहरबानी के किस्से कभी खूब गूंजते थे।

कमिश्नरेट बनने के बाद दरबार कमजोर

यूं तो फिलवक्त भी चुनिंदा इंस्पेक्टर साकेत दरबार के भक्त हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद खाकी महकमे में दरबार की धमक कमजोर हुई। ऐसे में दरबार ने धनबल की बदौलत फर्जी मामलों की एफआईआर दर्ज कराने का जुगाड़ निकाला था। पुलिस आफिस में कुछ वक्त पहले तक तैनात एक ब्राह्मण इंस्पेक्टर तो कमिश्नर कक्ष में मीटिंग और चर्चाओं की मुखबिरी करने के साथ-साथ शिकार खोजने में दागदार मिला है। दीनू उपाध्याय और पिंटू सेंगर हत्याकांड से जुड़े पप्पू स्मार्ट-सऊद अख्तर गिरोह को साकेत दरबार के इशारे पर फरारी का मौका दिया गया अथवा एफआईआर से नाम निकाला गया। पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी-मुख्यालय से विभाग के गद्दारों की शिनाख्त करने के लिए कहा है। उम्मीद है कि, जल्द अपराधियों के मुखबिर और शिष्य दारोगा-इंस्पेक्टर पर गाज गिरेगी।

सिपाही से इश्क लड़ाने वाले पर मेहरबानी

उस दौर में दरबार की ताकत यूं समझिए कि गोविंदनगर थानेदार को फजलगंज में तैनाती मिली तो एक दारोगा और महिला सिपाही के इश्क में कूद गए। पुराने इश्क को कमजोर करने के लिए दारोगा अनूप को कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया तो सल्फास खाकर जिंदगी को अलविदा कह दिया। बीवी ने महिला सिपाही पर आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन दरबार के खास इंस्पेक्टर ने सिपाही से दोस्ती निभाते हुए बचाने का हरसंभव प्रयास किया। इश्किया चर्चाएं थाने की सरहद लाँघकर समाज तक पहुंची तो दरबार के आग्रह पर तत्कालीन ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर से अभयदान मिला था।

आजकल इंस्पेक्टर की तैनाती ताजनगरी में है। किसी वक्त एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का तेज हासिल करने वाले इंस्पेक्टर गोविंदनगर थाने में तैनात थे। शहर में तीन मर्तबा थानेदार रहे इंस्पेक्टर तो दरबार के सहयोग से अपराधियों के सफाए में बिजी रहे और सेवानिवृत्ति के बाद रुड़की में आलीशान इंजीनियरिंग कॉलेज बनवाया है।

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