कानपुर: केडीए फाइले लटका कर खेल रहे बाबू

कानपुर। केडीए में निचले स्तर के बाबुओं की कारीगरी के चलते केडीए में काम कराने आने वालों को परिक्रमा लगानी पड़ रही है। सबसे ज्यादा परेशानी मूय्टेशन के कार्य में आ रही है। हालात यह है बाबू फाइलों को या तो दबाये रहते है या दलालों के जरिये गुमराह किया जाता है।

कहने को कैमरे और गार्ड है लेकिन दलालों का नैक्सेस लगातार काम कर रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कते फाइलों का न मिलना है। दरअसल सभी जोन के लिये अलग ओएसडी है बावजूद इसके बाबू कारीगरी से बाज नहीं आते है। एक पीड़ित ने बताया कि जूही कला की प्रापर्टी के नामातंरण के लिये केडीए के चक्कर काट रहे है। पहले तो फाइल कई माह तक बाबू निकलवाने की बात कहते रहे बाद में कहा कि फाइल नहीं मिल रही है

अब साफ्टवेयर के जरिये फाइल की स्कैनिंग की जायेगी लेकिन तब तक पीड़ित को कई माह तक चक्कर काटना पड़ा। दरअसल सूत्रों की माने तो केडीए में दलालो का वर्चस्व जबरदस्त है ऐसे में नामातंरण की फाइले बाबू जल्दी नहीं निकालते अगर मिल भी गयी तो सैकड़ों खामियां निकाल देते है फिलहाल इन दिनों ज्यादातर फाइले न मिलने का रोना रोकर स्कैनिंग या फिर डप्लूीकेट फाइल मिलने पर काम होने का रोना रोया जा रहा हैै। सूत्रों की तो दूसरे बाबूओं को कई अफसरों की कृपा मिली है जिसकेचलते सभी मनमानी करते है। एक कर्मचारी ने 6 माह तक फाइल लटकाये रहा फिर पैसा वापस कर दिया जिससे पीड़ित का वक्त बर्बाद हुआ।

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