
- व्यापारी को बहलाकर शागिर्द को दो फर्मों से गेहूं दिलवाया
- भुगतान करने के बजाय व्यापारी के घर भेजी झांसी पुलिस
- सीने पर रिवाल्वर लगाकर भुगतान करने के लिए धमकाया
- उन्नाव और नौबस्ता की फर्म को अदा करने पड़े 1.5 करोड़
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। जमीन-जायदाद हड़पने और चरित्र-हत्या के कारनामों के बाद साकेत दरबार के मुखिया अखिलेश दुबे का नया कारनामा सामने आया है। आका ने शागिर्द के मार्फत कमोडिटी कारोबार का झांसा देकर किदवई नगर के व्यापारी के जरिए डेढ़ करोड़ का गेहूं खरीदकर हजम कर लिया। भुगतान का लफड़ा फंसा तो झांसी से दरबारी दारोगा को बुलाकर मोहल्ले में बेइज्जती कराई। सियासी हस्तक्षेप हुआ तो कुछ दिन चुप्पी के बाद साकेत दरबार ने दोबारा व्यापारी को तलब किया और सीने पर रिवाल्वर सटाकर गेहूं मुहैया कराने वाली फर्मों को डेढ़ करोड़ का भुगतान करने के लिए मजबूर कर दिया। डेढ़ करोड़ का गेहूं साकेत दरबार में कहां और कैसे खुर्द-बुर्द हुआ, यह रहस्य है।
झांसी के व्यापारी से परिचय कराना गुनाह
गेहूं हजम करने का किस्सा कुछ यूं है कि, अखिलेश दुबे के शागिर्द बृजेश श्रीवास्तव ने मार्च 2018 में किदवई नगर के व्यापारी दिलीप ओझा को साकेत दरबार में बुलाकर साझे में गेहूं की ट्रेडिंग करने का ऑफर दिया। ओझा ने कमोडिटी कारोबार का अनुभव नहीं होने का हवाला देते हुए झांसी के मित्र व्यापारी नरेश गुप्ता से परिचय करा दिया। बृजेश और नरेश में एग्रीमेंट हुआ, लेकिन किसी कारण से साझेदारी टूट गई। इसके बाद दिलीप ओझा को दिसंबर-2018 में साकेत दरबार में बुलाकर धोखेबाज व्यापारी से साझेदारी करने का गुनाहगार बताकर डेढ़ करोड़ कीमत के गेहूं की खरीद कराने का हुक्म सुना दिया गया। ओझा ने इंकार किया तो दरबार में मौजूद चाटुकार पुलिस वालों से धमकाकर सोचने-समझने के लिए एक सप्ताह की मियाद मुकर्रर करते हुए भगा दिया।
धमकाने आया झांसी का दारोगा उल्टे पैर भागा
17 दिसंबर 2018 को राहत की मियाद खत्म होते ही देर शाम झांसी में तैनात दारोगा अभिनव मिश्रा दल-बल के साथ दिलीप ओझा के घर पहुंचकर पुलिसिया गुंडई करने लगा। शोर-शराबा सुनकर मोहल्ले के लोग बाहर निकले तो खाकी वर्दी वाले गुंडे दिलीप ओझा के घर का दरवाजा पीटकर बाहर निकलने के लिए ललकारने लगे। सरसौल निवासी किसान नेता भानु प्रताप सिंह को गुंडई का किस्सा सुनाकर दिलीप बाहर निकले तो भानु ने दारोगा से एफआईआर और वारंट के बारे में सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया। खुद को फंसता देखकर दारोगा अभिनव मिश्रा उल्टे पैर भाग निकला। कुछ दिन मामला शांत रहा, फिर दिलीप ओझा को दरबार में बुलाकर झांसी से आई पुलिस के खर्चे के नाम पर 25 हजार रुपए वसूले गए।
ओझा को अदा करने पड़े डेढ़ करोड़ रुपए
सियासी दखल कमजोर हुआ तो अखिलेश ने दिलीप ओझा के सीने पर रिवाल्वर लगाकर किसी भी सूरत में बृजेश श्रीवास्तव को डेढ़ करोड़ का गेहूं दिलाने के लिए धमकाया। साथ ही वादा किया कि, भुगतान वह खुद करेंगे। झांसे में आए दिलीप मिश्रा ने नौबस्ता गल्लामंडी के व्यापारी संजय मिश्रा की फर्म श्रद्धा ट्रेडिंग कंपनी और उन्नाव के बांगरमऊ के सुनील गुप्ता की फर्म माया फूड प्रोडक्ट से गेहूं दिला दिया। सौदे से पहले अखिलेश दुबे ने बांगरमऊ की फर्म को बतौर एडवांस 30 लाख रुपए दिये थे, लेकिन सप्लाई होने के बाद सुनील गुप्ता को धमकाकर एडवांस जरिए आरटीजीएस वापस प्राप्त कर लिया था। व्यापारियों ने ओझा पर दबाव बनाया तो उन्हें एडवांस वापसी के 30 लाख रुपए के साथ-साथ एक करोड़ बीस लाख रुपए दोनों फर्मों को अदा करने पड़े थे।
साझेदारी का झांसा देकर दुकान को हड़पा
- सिर्फ आठ लाख देकर एक करोड़ की दुकान पर कब्जा
- लवी मिश्रा के जरिए हुई कपड़ा व्यापारी से धोखाधड़ी
- विरोध करने पर फजलगंज में लिखवाया फर्जी मुकदमा
कानपुर। साकेत दरबार के शागिर्दों के इतिहास में आका की सरपरस्ती में धोखाधड़ी के किस्से तमाम हैं। शांतिनगर के संजय अग्रवाल तनिक बीमार क्या हुए, उन्हें साझेदारी में बड़ा कारोबार का सपना दिखाकर एक करोड़ की दुकान को आठ लाख थमाकर हड़प लिया। इसके बाद रजिस्ट्रेशन का झांसा देकर किरायेदारी को ट्रांसफर कराने का हुक्म सुनाया गया तो व्यापारी ने रकम मिले बगैर ऐसा करने से इंकार कर दिया। रिवाल्वर दिखाकर धमकाया तो व्यापारी ने हुक्म पर अमल कर दिया। बाद में साझेदारी की बात रखी तो दुत्कार कर भगा दिया गया। मजबूर होकर एफआईआर लिखाने का नतीजा यह हुआ कि अखिलेश दुबे के इशारे पर फजलगंज थाने के साथ-साथ कोर्ट में फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिये। आखिरकार खौफजदा व्यापारी को साकेत दरबार के शागिर्दों से समझौता करना पड़ा।
शांतिनगर के संजय अग्रवाल ने सोमवार को पुलिस आफिस में अखिलेश दुबे के खिलाफ शिकायती पत्र देकर बताया है कि, जनरलगंज में कपड़े का कारोबार करते थे। तबीयत खराब रहने के कारण पड़ोसी मार्केट में व्यापार करने वाले सनी चुग, हिमानी चुग, सुनील चुग और अखिलेश दुबे के शागिर्द लवी मिश्रा ने बड़ी पूंजी लगाकर साझेदारी में कारोबार करने का ऑफर दिया। पक्की बात करने के लिए दोनों पक्ष साकेत दरबार में हाजिर हुए तो अखिलेश दुबे ने दुकान की कीमत एक करोड़ बताते हुए दुकान बेचने अथवा पचास फीसदी साझेदारी का प्रस्ताव रखा। संजय अग्रवाल ने साझेदारी को कबूल करते हुए बतौर एडवांस आठ लाख रुपए जरिए चेक प्राप्त किये। इसके बाद जीएसटी रजिस्ट्रेशन के नाम पर दुकान की किरायेदारी ट्रांसफर करने का दबाव बनाया गया तो संजय अग्रवाल ने इंकार कर दिया।
जेल जाओगे या ऊपर का फरमान
संजय के सीने पर रिवाल्वर लगाकर अखिलेश दुबे ने जेल जाने या मौत का खौफ दिखाकर किरायेदारी को ट्रांसफर करा दिया। इसके बाद साझेदारी की बात आई तो संजय को गाली-गलौच करते हुए भगा दिया। संजय ने अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा के नाम से परहेज करते हुए चुग फैमली के खिलाफ कलक्टरगंज थाने में रिपोर्ट लगाई तो अखिलेश दुबे ने फजलगंज थाने में संजय अग्रवाल के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिय़ा। साथ ही कोर्ट में तमाम फर्जी मामले दर्ज कराए गए। मुकदमों की बाढ़ से संजय परेशान हुआ तो दरबार में बुलाकर चुग फैमली से हाईकोर्ट में समझौता करने का हुक्म सुना दिया गया, जिसे संजय को मजबूरी में स्वीकार करना पड़ा था।