Kannauj : हृदयाघात से मेडिकल के थोक संचालक की मौत

  • मामला कन्नौज जिले के तिर्वा नगर के इंद्रानगर मोहल्ले का।
  • परिजनों का आरोप मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाई, प्रिंसिपल बोले आरोप गलत, ऑक्सीजन नहीं मिलती तो वेंटिलेटर कैसे चलता।
  • युवा मेडिकल व्यापारी के निधन से नगर में शोक की लहर, बड़ी संख्या में जुटी भीड़।

Kannauj : गुरुवार की सुबह तिर्वा नगर के एक 28 वर्षीय युवा मेडिकल संचालक की हृदयाघात से उपचार के दौरान मौत हो गई।

बताते चलें कि स्व. बसंत गुप्ता के पुत्र मयंक गुप्ता बीते काफी समय से तिर्वा नगर के इंद्रानगर मोहल्ले में अपने चाचा राजेश गुप्ता उर्फ लल्लू के यहां रहते थे। तिर्वा नगर में खैरनगर मार्ग पर मयंक का मयंक मेडिकल स्टोर के नाम से प्रतिष्ठान है, और वह दवाओं के थोक व्यापार का कार्य करते थे।

गुरुवार की सुबह करीब सात बजे अपने चाचा के घर पर मौजूदगी के दौरान मयंक को अचानक बेचैनी महसूस हुई और सीने में दर्द होने से हालत बिगड़ने लगी। मामले की जानकारी जैसे ही परिजनों और आसपास मौजूद अन्य परिवारीजनों को हुई, तो मयंक को आनन-फानन में उपचार हेतु तिर्वा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। इस दौरान नगर के लोगों की भीड़ भी बड़ी संख्या में कॉलेज पहुंच गई।

मयंक को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ। ऑक्सीजन सप्लाई पर रखे गए मयंक की हालत में सुधार न होने की जानकारी कॉलेज के प्रिंसिपल सी.पी. पाल को भी दी गई, जिस पर प्राचार्य भी मौके पर पहुंचे। मयंक की हालत को देखते हुए उन्हें आईसीयू में ले जाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ आईसीयू के पास मौजूद होने के कारण अस्पताल कर्मी भी हड़बड़ाहट की स्थिति में नजर आने लगे।

आईसीयू में वेंटिलेटर पर उपचार के दौरान मयंक की मौत हो गई, जिसकी पुष्टि डॉक्टरों ने की।

मामले में परिजनों और मौजूद लोगों ने बताया कि ऑक्सीजन का फ्लो कम होने और पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण मयंक की मौत हो गई। वहीं इस मामले में कॉलेज के प्राचार्य का कहना था कि आरोप बेबुनियाद हैं। वह स्वयं मौके पर मौजूद थे। यदि ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्थित नहीं होती तो मरीज को वेंटिलेटर पर रखकर उपचार संभव नहीं होता। डेढ़ घंटे तक इमरजेंसी से लेकर आईसीयू तक उपचार जारी रहा, इसके बावजूद मरीज की हालत अत्यधिक खराब होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका।

प्रिंसिपल ने यह भी बताया कि आईसीयू में एक साथ बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ के कारण अव्यवस्था की स्थिति जरूर पैदा हुई, जिससे मेडिकल स्टाफ प्रभावित हुआ। उनका कहना था कि मरीज को रेफर भी किया जा सकता था, लेकिन कॉलेज की उपलब्ध व्यवस्थाओं के साथ मरीज को बचाने का पूरा प्रयास किया गया। बावजूद इसके मरीज की गंभीर स्थिति के चलते उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।

डॉक्टरों द्वारा मयंक की मौत की पुष्टि होने के बाद जहां परिजनों में हड़कंप मच गया, वहीं परिजन मयंक के शव को लेकर वापस घर लौट आए।

दोपहर करीब डेढ़ बजे मृतक मयंक की मां भी मौके पर पहुंचीं। जवान और अविवाहित बेटे की मौत पर मां का हाल बेहाल था, वहीं परिजनों के करुण क्रंदन का सिलसिला जारी रहा।

दुखद घटना को लेकर नगर में कई प्रतिष्ठान बंद नजर आए।
दोपहर करीब तीन बजे मृतक के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।

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