
पटना : बिहार की सियासत में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या तेजस्वी यादव फिर से मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे हैं? इस सवाल का जवाब कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने साफ़ शब्दों में दे दिया है। कन्हैया कुमार ने अपने बयान में कहा है कि अगर महागठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलता है, तो मुख्यमंत्री आरजेडी से ही होगा, और तेजस्वी यादव स्वाभाविक रूप से उस पद के दावेदार होंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि गठबंधन के भीतर किसी भी तरह का भ्रम या मतभेद नहीं है।
सीएम का चेहरा नहीं, जनता के मुद्दे ज़रूरी
कन्हैया कुमार ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम चेहरे को लेकर चर्चा एक साजिश है, ताकि जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। उन्होंने कहा कि बिहार में परिवर्तन की लहर पहले से ज्यादा तेज़ है और भाजपा इस बार लोगों के गुस्से का सामना करेगी।
भाजपा चल रही है पुरानी रणनीति पर
कन्हैया ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि जैसे ही भाजपा को मौका मिलेगा, वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाकर अपना नेता बैठा देगी। उन्होंने भाजपा की रणनीति को “पहले समर्थन दो और फिर निगल जाओ” बताया।
कार में सबका रोल, लेकिन ड्राइविंग आरजेडी के हाथ में
महागठबंधन के सहयोगी दलों को लेकर कन्हैया ने शानदार उदाहरण देते हुए कहा —
“एक कार में क्लच, ब्रेक, मिरर — सब ज़रूरी होते हैं। लेकिन अगर आरजेडी के पास ज्यादा विधायक हैं, विपक्ष के नेता हैं, तो स्वाभाविक है कि ड्राइविंग सीट उन्हीं की होगी।”
बिहार कांग्रेस भी तेजस्वी के साथ
बिहार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी साफ़ कर चुके हैं कि महागठबंधन से मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे। उन्होंने कहा,
“तेजस्वी नहीं तो कौन? तेजस्वी ही सीएम बनेंगे।”
क्या कहता है सियासी समीकरण?
राजद इस समय महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है और विपक्ष के नेता का पद भी तेजस्वी के पास है। कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां और वीआईपी जैसे सहयोगी दल गठबंधन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
बहरहाल, कन्हैया कुमार का यह बयान महागठबंधन के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रही चर्चाओं पर विराम लगाने वाला है।
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