गायों के लिए कब्रगाह साबित हो रहा कान्हा उपवन,रोज मर रहे बेजुबान जानवर

लखनऊ : गौमाता और गायों के नाम पर आयी प्रदेश सरकार में गायों का बुरा हाल है। प्रदेश की गौशालाओं स्थिति की बात छोड़ दे तों केवल राजधानी में ही नगर निगम का कान्हा उपवन गौशालाओं के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है। कान्हा उपवन में रोजाना गायों,गौवंशो पर जमकर डंडे बरसाये जाते हैं और गंदगी के बीच सूखा भूसा ही गायों को नसीब होता है।

गायों को ढूंढने कान्हा उपवन आने वालेे गौपालकों के जरिये बात कहीं बाहर न चली जाये इसलिए गेट पर ही उनकी तलाशी के साथ मोबाइल फोन और अन्य चीजें सुरक्षा के नाम पर पहले ही जमा करा ली जाती हैं।

गायों की दुर्दशा को लेकर दैनिक भास्कर को गौपालकों के जरिये काफी शिकायतें मिलने के बाद दैनिक भास्कर ने कान्हा उपवन का निरीक्षण किया। कान्हा उपवन के निरीक्षण के लिए नगरनिगम से अनुुमति भी ली गयी। अनुमति पत्र को दिखाकर जब अंदर जाने के लिए गेट खुला तो वहां पर मौजूद कर्मचारियों ने पहले तो पूरी तलाशी ली और जेब में रखे सामान के साथ मोबाइल भी जमा करवा लिया। गायों को ढूंढने के लिए कान्हा उपवन का एक कर्मचारी भी साथ में दिया गया। निरीक्षण के समय रोहिणी शाला में एक गाय बीमार पड़ी थी। एक बछिया भीग कर कांप रही थी।

इसी रोहिणीशाला में एक नवजात ब्याई बछिया भी अपनी मां के साथ डरी सहमी खड़ी थी। इस बाड़े में कम से पांच या छह हजार गायों और गौवंशो के बीच दो या तीन की बछिया किसी तरह से अपने जीवन की रक्षा कर रही थी। रोहिणीशाला के बगल वाले बाड़े में भी इसी तरह से ठसा-ठस गौवंश और गाय,बछिया सभी बंद थे। गायों के भोजन के लिए बनी नांदों में सूखा भूसा पड़ा था जिसके लिए जानवरों के बीच छीना झपटी मची हुई थी। ताकतवर जानवर ही सूखा भूसा खा पाने में सफल हो रहे थे। श्रीकृष्ण बाडे़ के पास वाले बाड़े में गंदगी का अंबार था और यहां पर जानवरों को गिराकर उनके कानों पर टैगिंग की जा रही थी। इसी बीच कई जानवरों को दौड़ाकर अलग बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा था। इस बीच कई बच्चा देने वाली गायों को भी बुरी तरह दौड़ाया जा रहा था।

कान्हा उपवन के कर्मचारी गायों को शिफ्ट करने के लिए लोहे और लकड़ी के डंडो से बुरी तरह से गायों को पीट रहे थे। हर बाड़े में गायों को रोजाना दौड़ाया जाता है जिससे वे गिर कर बुरी तरह से घायल हो जाती है। बाड़े में कई गाय ऐसी दिखी जिनकी सींगे टूटी हुई थी और शरीर से खून बह रहा था। कई गायों के पैर में घाव था लेकिन जानवरों के लिए न कोई दवा थी और न ही मरहम पट्टी। रोहिणीशाला के बगल वाले बाड़े में एक मरी गाय मिली जिसे ट्रैक्टर से उठाया जा रहा था। दैनिक भास्कर ने जब कर्मचारियों से इस बारे में पूछा तो बताया कई जानवर रोज मर जाते हैं और उनको उठाकर फेंक दिया जाता है। कान्हा उपवन में इतने जानवर रोजाना राजधानी में जानवरों को पकड़ने वाले अभियान के तहत सभी आठो जोनों से लाये जाते है।

राजधानी में बने कांजी हाउस में पहले उन्हें रखा जाता है जो पशुपालक पता लगाते हुए इन कांजी हाउस से सम्पर्क करते हैं और मिलने पर उन्हें छुड़ा ले जाते हैं वो तो बच जाते हैं लेकिन जो जानवर छूटते नहीं वो सीधे कान्हा उपवन भेज दिये जाते हैं और यहां वो अपनी आजादी खोकर खौफ के साये में जीने को मजबूर हो जाते हैं और यातनाओं के साथ जिंदा रहने के लिए छोड़ दिये जाते हैं।

यातनाएं न झेल पाने वाली गायें,गौवंश और बछिया रोजाना बदहवास होकर मर रही हैं। पांच-छह जानवर रोजाना मर रहे हैं। इस सम्बन्ध में मेयर सुषमा खर्कवाल ने दैनिक भास्कर को बताया कि यह प्रकरण गंभीर है और इस प्रकरण को मैं खुद दिखवाती हूं।

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