
Mandi Cloudburst : हिमाचल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र से सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने हिमाचल प्रदेश में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है, जिससे उनके खिलाफ तीखी आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है। स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की नाराजगी तब चरम पर पहुंच गई, जब वे राहत कार्यों में पूरी तरह से नदारद रहीं और प्रभावित क्षेत्रों में उनकी मौजूदगी नहीं देखी गई।
मंडी जिले में आई सदी की सबसे भीषण बाढ़, भूस्खलन, और बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदा से तबाह हुए क्षेत्र, जैसे सराज, थुनाग, जंजैहली और मंडी के अन्य हिस्से, में जब लोग मदद के लिए तड़प रहे थे, उस समय सांसद कंगना रनौत की चुप्पी लोगों के गुस्से को जन्म दे रही थी। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब प्रभावित लोग मलबे में दबे थे, सड़कें टूट चुकी थीं, घर उजड़ गए थे और परिवार बिखर गए थे, तब वे सांसद कहां थीं?
मीडिया में इस मुद्दे पर तीखे सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की और पूछा कि जब राहत कार्य चल रहे थे, तब कंगना कहां थीं? कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि अब सब कुछ बह गया है, तो दौरे का क्या फायदा?
इसके बाद, कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “मैं हिमाचल प्रदेश जा रही हूं। जल्द ही आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करूंगी। कृपया निश्चिंत रहें, मैं हर परिस्थिति में हिमाचल प्रदेश के साथ हूं। जय हिंद।” हालांकि, इस बयान के साथ ही लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई। उनका मानना है कि यह बयान और दौरा केवल आलोचना को शांत करने और अपनी छवि सुधारने की एक कोशिश है।
विश्लेषकों का मानना है कि कंगना का यह दौरा केवल औपचारिकता बनकर रह सकता है यदि वे वास्तव में प्रभावितों की मदद के लिए ठोस कदम नहीं उठातीं। राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि, चुनावी समय में खुद को “पहाड़ की बेटी” बताने वाली कंगना की यह चुप्पी और बाद में लिया गया यह कदम जनता की भावनाओं को आहत करने वाला है। अब देखना यह है कि उनका यह दौरा प्रभावित क्षेत्र की हकीकत से कितना मेल खाता है और वे प्रभावितों के लिए कितना योगदान दे पाती हैं।