
नई दिल्ली/हिसार। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए कथित तौर पर जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार की गई सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ज्योति मल्होत्रा के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। हिसार पुलिस को मिली डिजिटल फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में ज्योति के पाकिस्तान की नैरेटिव वॉर रणनीति में ‘एसेट’ के रूप में काम करने के पुख्ता सबूत मिले हैं।
12 टेराबाइट डेटा से खुले कई राज़
हिसार पुलिस ने ज्योति के मोबाइल और लैपटॉप से लगभग 12 टीबी (टेराबाइट) डिजिटल डाटा रिकवर किया है। इस डेटा की गहन जांच की जा रही है। पुलिस ने फिलहाल उसकी दोबारा हिरासत की मांग नहीं की है, क्योंकि प्राथमिकता डिजिटल सबूतों की विस्तृत जांच है।
प्रारंभिक विश्लेषण में सामने आया है कि ज्योति के खातों में संदिग्ध मनी ट्रेल है। वहीं वह चार PIOs (पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स) के संपर्क में थी और उनकी वास्तविक पहचान से अवगत थी।
वन-ऑन-वन संवाद, ग्रुप चैट से परहेज़
डिजिटल डेटा में ज्योति के ग्रुप चैट्स का कोई प्रमाण नहीं मिला, बल्कि वह केवल वन-ऑन-वन बातचीत करती थी—यह अत्यधिक गोपनीय तरीके से काम करने का संकेत है।
पाकिस्तान यात्रा और VIP ट्रीटमेंट
ज्योति की पहली पाकिस्तान यात्रा के बाद उसके पासपोर्ट पर विशेष वीजा दर्ज हुआ था, जिसे ISI और पाक गृह मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उसे पाकिस्तान में VIP ट्रीटमेंट मिला, जो ISI द्वारा सोशल मीडिया प्रभावशाली लोगों को लुभाने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है।
यात्रा के वीडियो सामने आने के बाद उसके फॉलोअर्स और व्यूज में अचानक उछाल आया, जिसे जांच एजेंसियां एक सोची-समझी डिजिटल ऑपरेशन से जोड़कर देख रही हैं।
नैरेटिव वॉर में शामिल, सुरक्षा पर बड़ा खतरा टला
हिसार पुलिस का मानना है कि ज्योति ISI की नैरेटिव वॉर योजना में जानबूझकर शामिल हुई थी ताकि उसे विशेष सुविधाएं और प्रचार मिलता रहे। पुलिस के अनुसार, उसकी गिरफ्तारी समय पर हो गई, जिससे एक संभावित राष्ट्रीय सुरक्षा संकट टल गया।
हालांकि अभी तक कोई अत्यधिक संवेदनशील डेटा लीक होने का प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण संपर्क और गतिविधियों की जानकारी लीक होने की संभावना की जांच जारी है।
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फंडिंग के स्रोतों की जांच
हिसार पुलिस अब ज्योति को मिलने वाले विदेशी फंडिंग के स्रोतों की भी जांच कर रही है। शुरुआती रिपोर्ट में इन फंड्स के पीछे अनियमित और संदिग्ध ट्रांजैक्शन की आशंका जताई गई है।