कबाड़ बसें, लचर मैनेजमेंट…केजरीवाल सरकार में DTC को हुआ इतने हजार करोड़ का घाटा, फंड होने के बाद भी नहीं खरीदीं नई बसें : पढ़ें ये CAG रिपोर्ट

दिल्ली की सियासत में एक बार फिर घमासान मचना तय माना जा रहा है। इस घमासान का कारण CAG रिपोर्ट है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘शराब घोटाले’ और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब परिवहन विभाग (DTC) की CAG रिपोर्ट विधानसभा में पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केजरीवाल सरकार की नीतियों के चलते बीते 7 साल में DTC को 14 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) को लेकर दिल्ली विधानसभा में पेश की गई CAG रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां सामने आई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में DTC की बसों में हर रोज औसतन 15.62 लाख लोगों ने यात्रा की, इस दौरान DTC ने करीब 660.37 करोड़ रुपये का कारोबार किया। लेकिन फिर DTC को लगातार घाटा हो रहा था। 

CAG ने DTC को लेकर वित्तीय सत्र 2015-16 से लेकर 2021-22 तक यानी 7 साल की ऑडिट की है। इस ऑडिट में सामने आया है कि DTC के पास बसों को चलाने के लिए न तो कोई प्रॉपर योजना थी और न ही इसके लिए कोई बेंचमार्क सेट किए गए थे। यहां तक कि लगातार हो रहे घाटे के बाद भी DTC को कमाई में लाने के लिए कोई प्लानिंग या रिसर्च नहीं किया गया था।

इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि केजरीवाल सरकार में DTC की बसों की संख्या में भारी कमी आ गई थी। इसके अलावा लंबे समय तक पुरानी बसें ही चलाई जाती रहीं, जिससे बसों को चलाने में अधिक खर्च होता रहा। इसके अलावा इलेक्ट्रिक बसों की खरीदी में भी देरी की गई और जब बसों की डिलीवरी में देरी हुई तो AAP सरकार ने बस उपलब्ध कराने वाली कंपनी पर किसी भी प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया।

CAG रिपोर्ट में सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि साल 2015-16 में जहां DTC में बसों की संख्या 4344 थी, वहीं 2022-23 में महज 3937 रह गई थी। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान DTC के पास पर्याप्त फंड उपलब्ध था, बावजूद इसके DTC ने केवल 300 नई इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदी गईं। पुरानी बसों की संख्या अधिक थी, ऐसे में बसों को चलाने व मरम्मत कराने में लगने वाला खर्च बहुत अधिक था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि DTC में पुरानी बसों का अनुपात 44.96% तक पहुंच गया था, इससे बसों के खराब होने की घटनाएं बहुत अधिक थीं। इसके अलावा बसों के रूट में भी कोई बदलाव या सुधार नहीं किया गया था, इसके चलते DTC को बीते साल में 14,198.86 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि DTC का किराया आखिरी बार साल 2009 में बढ़ा था। इसके बाद से न तो कांग्रेस सरकर और ना ही AAP सरकार ने किसी प्रकार से किराए में बढ़ोतरी की। यहां तक फिर भी ठीक था। लेकिन किराए न बढ़ने से बोझ पहले ही बढ़ रहा था और फिर महिलाओं को मुफ़्त बस की सर्विस भी शुरू कर दी गई। इससे घाटा कहीं अधिक हो गया।

हालत यह है कि 468 रूट्स पर चलने वाली बसें अपना खर्च तक नहीं वसूल पाईं। इससे 2015-22 के बीच 14199 करोड़ रुपए का अतिरिक्त घाटा हुआ। बड़े-बड़े वादे करने वाले अरविंद केजरीवाल ने साल 2015 में 10000 नई बसें चलाने का वादा किया था। लेकिन साल 2022 में सिर्फ 300 बसें ही खरीदी गईं। यह हालत तब थी जबकि दिल्ली सरकार के पास में बसें खरीदने के लिए 233 करोड़ रुपए का पर्याप्त फंड उपलब्ध था।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

मुखवा में पीएम मोदी ने की गंगा पूजा अंसल एपीआई पर कार्रवाई : पिता – पुत्र समेत 5 पर मुकदमा दर्ज ट्रंप ने भारत , चीन समेत देशों पर उच्च शुल्क लगाने का किया ऐलान परिजनों ने कहा – सचिन तो सिर्फ मोहरा , कत्ल के पीछे कोई ओर रूम पर चलो नहीं तो नौकरी छोड़ : नर्सिंग ऑफिसर की पिटाई