
नई दिल्ली। कर्नाटक की धरती ने भारतीय हॉकी को कई दिग्गज खिलाड़ी दिए हैं। एमपी गणेश, एमएम सोमैया, एबी सुब्बैया, आशीष बल्लाल, अर्जुन हलप्पा जैसे दिग्गजों से लेकर हाल के वर्षों में वीआर रघुनाथ, एसके उथप्पा, निक्किन थिमैया और एसवी सुनील तक ने भारतीय हॉकी में कर्नाटक की मजबूत पहचान बनाई है। 2016 के रियो ओलंपिक में भी इन चार खिलाड़ियों ने भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। अब इसी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उभरते हुए खिलाड़ी पीबी सुनील के कंधों पर आ गई है।
हालांकि, कर्नाटक के मोहम्मद रहील, अभरण सुदेव और एचएस मोहित जैसे खिलाड़ी सीनियर कोर ग्रुप और राष्ट्रीय टीम के लिए संघर्ष करते रहे हैं, लेकिन हाल ही में पुरुष जूनियर हॉकी विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम में सुनील के शानदार प्रदर्शन ने राज्य की हॉकी को फिर से नई उम्मीद दी है।
शिवमोग्गा जिले के सोराब तालुक के अनावत्ती गांव जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर सुनील ने 10 साल की उम्र में अपने जिले के स्पोर्ट्स हॉस्टल से हॉकी की शुरुआत की थी। कृषि क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले माता-पिता के लिए सुनील की यह सफलता किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं है।
सुनील को हॉकी इंडिया लीग में वेदांता कलिंगा लांसर्स ने 2 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया है। लीग में अच्छे प्रदर्शन के महत्व को समझते हुए सुनील ने कहा, “जूनियर वर्ल्ड कप मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था, लेकिन अब वह अतीत बन चुका है। अब मेरा पूरा ध्यान कलिंगा लांसर्स के लिए अच्छा प्रदर्शन करने पर है। टीम में अनुभवी और युवा खिलाड़ियों का अच्छा मिश्रण है और इस सीजन मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।”
कर्नाटक की समृद्ध हॉकी विरासत पर बात करते हुए सुनील ने कहा, “जब मैंने हॉकी खेलना शुरू किया था, तब मुझे न तो इस खेल की ज्यादा जानकारी थी और न ही कर्नाटक के योगदान के बारे में। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर आने के बाद मुझे अपने कंधों पर आई जिम्मेदारी का अहसास हुआ है, जो मुझे राज्य के पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों की तरह कुछ हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।”
डिफेंडर के तौर पर खेलने वाले सुनील को हॉकी इंडिया लीग में बेल्जियम के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता आर्थर वान डोरेन और एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स जैसे दिग्गजों के साथ खेलने का मौका मिलेगा, जिसे लेकर वह बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “एक डिफेंडर के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से सीखने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। आर्थर और एलेक्स दोनों ही शानदार डिफेंस, बेहतरीन गेम नॉलेज और पेनल्टी कॉर्नर डिफेंस में माहिर हैं।”
सुनील ने आगे कहा कि वह सिर्फ मैदान पर ही नहीं, बल्कि उनसे मैच की तैयारी, मैदान के बाहर व्यवहार और मानसिक रूप से खुद को तरोताजा रखने के तरीके भी सीखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “एक महीने की हॉकी इंडिया लीगके दौरान किसी अंतरराष्ट्रीय स्टार के इतना करीब रहने का मौका मिलना बड़ी बात है और इससे बेहतर मंच कोई नहीं हो सकता।”
हॉकी में सफलता सुनील के लिए सिर्फ खेल उपलब्धि नहीं, बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने का जरिया भी है। उन्होंने कहा, “हमारे गांव में सिर्फ आधा एकड़ जमीन है और जीवनयापन आसान नहीं है। मुझे पूरा भरोसा है कि हॉकी में अच्छा प्रदर्शन मुझे नौकरी दिलाएगा। हॉकी इंडिया के नकद पुरस्कार और HIL से मिलने वाली राशि से मेरे परिवार की स्थिति जरूर सुधरेगी।”
वेदांता कलिंगा लांसर्स अपना पहला मुकाबला 4 जनवरी को शाम 7:30 बजे रांची रॉयल्स के खिलाफ खेलेगी।















