8 सालों से खेती कर रहीं जूही चावला, पिता की मौत के बाद क्यों लेना पड़ा ये फैसला

बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला पिछले कुछ सालों से लाइमलाइट से दूर हैं। फिल्मों से गायब जूही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और फैन्स के लिए तस्वीरें शेयर करती रहती हैं। जूही ने अपने करियर की शुरुआत साल 1986 में रिलीज हुई फिल्म ‘सल्तनत’ से की थी। इसके बाद जूही ने तमाम फिल्मों में काम किया। ‘डर’, ‘इश्क’, ‘कयामत से कयामत तक’, ‘हम हैं राही प्यार के’, ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’, ‘लुटेरे’, ‘साजन का घर’, ‘डुप्लीकेट’, ‘लक बाई चांस’, ‘सन ऑफ सरदार’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

मालूम हो कि जूही आईपीएल टीम कोलकाता नाइटराइडर्स की को-ऑनर भी है, वो अक्सर मैच में अपने पति और बच्चों के साथ नजर आती हैं। बता दें कि  एक्ट्रेस जूही चावला सामाजिक सरोकारों के  हमेशा से ही  सक्रिय रहने के साथ साथ वे  विभिन्न मुद्दों पर लोगों को जागरूक भी करती रहती हैं।

अब मिली खबरों के मुताबिक वे 8  साल से खेती कर रही हैं और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रही हैं| अभी  हाल में उन्हें पहले वुमेन ऑफ इंडिया ऑर्गेनिक फेस्टिवल के मुंबई संस्करण का ब्रांड एंबेस्डर  भी बनाया गया। जूही कहती हैं, ‘एक बार आपको ऑर्गेनिक फल और सब्जियों का मीठा स्वाद मिल जाए तो आप कभी भी बाज़ार में मौजूद, केमिकल में डूबे उत्पाद नहीं खरीदेंगे।’

जूही बताती हैं, ‘वो लम्हा आंख खोल देने वाला था, जब मैंने आमिर खान को इस विषय पर ‘सत्यमेव जयते’ के एक एपिसोड में बोलते हुए सुना। मैं अपने घर पर सिर्फ ऑर्गेनिक खेती करती हूं।

ऑर्गेनिक फलों के अलावा, जूही एक अन्य फार्म हाउस में ऑर्गेनिक सब्जियां भी उगाती हैं। ये जगह मांडवा में है। इसे जूही ने खुद खरीदा है। वे बताती हैं, ‘मेरे पास इन्वेस्ट करने के लिए कुछ पैसा था। किसी ने सुझाव दिया कि ज़मीन में इन्वेस्टमेंट करूं, उसके बाद से ही प्रॉपर्टी तलाश रही थी। मैंने मांडवा में 10 एकड़ ज़मीन खरीदी और यहां ऑर्गेनिक सब्जियां उगाती हूं, जो मेरे पति के रेस्टोरेंट के किचन तक पहुंचती हैं।”

वाडा (महाराष्ट्र) स्थित फार्महाउस पर मैं ये सब कुछ उगाती हूं। मैं एक किसान हूं। मेरे किसान पिता ने 20 एकड़ ज़मीन वाडा में खरीदी थी। मुझे खेती के बारे में कुछ नहीं पता था। जब उन्होंने खेती योग्य ज़मीन में इन्वेस्ट किया था, तब एक अभिनेत्री के रूप में मैं काफी व्यस्त थी और मेरे पास इस पर ध्यान देने के लिए समय भी नहीं था  लेकिन अब उनकी मृत्यु के बाद मुझे ही इन सब कामों  पर भी  कंट्रोल रखना पड़ा।

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