पुलिस हिरासत में युवक की मौत मामले में न्यायिक जांच शुरू, मॉर्चुरी में परिजनाें ने किया हंगामा

भोपाल :  गुरुवार दाेपहर को मृतक का पोस्टमार्टम किया गया। इस दाैरान मोर्चुरी के बाहर मृतक के परिजनों और परिचिताें ने जमकर हंगामा किया। उनकी मांग थी कि जिन दो पुलिसकर्मियों ने युवराज मांझी को गिरफ्तार किया, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एडिशनल डीसीपी शालिनी दीक्षित ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। जांच के बाद लापरवाही बरतने वालों पर जिम्मेदारी तय करने का भरोसा दिलाया है। परिजनों की ओर से कार्रवाई की मांग को लेकर एक ज्ञापन भी एडिश्नल डीसीपी को सौंपा है। इधर सुरक्षा के लिहाज से मॉर्चुरी परिसर में तीन थानों के टीआई दो एसीपी और भारी पुलिस की तैनाती रही।

दरअसल मृतक आराेपित युवराज मांझी हिस्ट्रीशीटर था। उसकी हनुमानगंज पुलिस अभिरक्षा में बुधवार को कोर्ट में पेशी के दौरान तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई थी। उसे बाइक चोरी के मामले में पकड़ा गया था। पुलिस का दावा है कि आरोपियों के कब्जे से लगभग पांच लाख रुपए कीमत की नौ बाइक बरामद हुई थी।

पुलिस ने उसके साथ दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया था। जिसमें से एक युवक की सीहोर जिले में गुमशुदगी भी दर्ज की गई थी। इस मामले में पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे।

मृतक युवराज मांझी की मां मीना का कहना है कि आखिरी मुलाकात में बेटे ने पुलिस हिरासत में घबराते हुए कहा था, आप मत जाओ मुझे छोड़कर मेरे साथ ही रहो। पुलिसवाले कुछ कर देंगे, मैने उसे भरोसा दिलाया कि कुछ नहीं होगा। तू जल्द ही छूट जाएगा। इसके बाद एक पुलिसकर्मी ने मुझे थाने से बाहर कर दिया। मैं उसे दलिया खिलाना चाहती थी, नहीं खिलाने दिया। मुझे पता था, वह कुछ और खाने की हालत में नहीं है। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। शराब पीने का आदि रहा है, हाल ही में टीबी अस्पताल से उसकी छुट्‌टी कराई है। लेकिन पुलिस को यह सब ढोंग लग रहा था। पेशी के दौरान उसे चार घंटे कोर्ट में बैठाकर रखा गया। उसे खाना पीना कुछ नहीं दिया, बेटा बेहद कमजोर था, इस कारण वह बेहोश हुआ और उसकी जान चली गई। कोर्ट में मौजूद एक महिला पुलिसकर्मी हमसे लगातार बदसलूकी करती रही। मैं बेटे को खाना खिलाना चाहती थी, नहीं खिलाने दिया, इस महिला पुलिसकर्मी ने हमें बेटे से बात भी नहीं करने दी। जब वह बेहोश हुआ तो बारी-बारी सारे पुलिसवाले चलते बने। उसे अस्पताल भी देरी से पहुंचाया गया। जिस पुलिसवाले ने उसे गिरफ्तार किया, हमसे बदसलूकी की। हमने उसके नाम पुलिस अधिकारियों को दिए हैं, उस पुलिसकर्मी और उसके एक साथी पर कार्रवाई होना चाहिए।

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