न्यायाधीश का बड़ा बयान: ‘ना बम का सबूत, ना साजिश का सुराग’ – मालेगांव केस में बरी क्यों हुए आरोपी?

नई दिल्‍ली:  मालेगांव ब्‍लास्‍ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी. ये मामला करीब 17 साल तक चलता रहा. बताया गया कि इस मामले में 40 से ज्‍यादा लोग अपने बयान से पलट गए. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब कोर्ट ने सबूतों के अभाव में इन आरोपियों को बरी कर दिया.

आइए जानते हैं, केस की सुनवाई करते हुए जज ने क्‍या-क्‍या कहा…

  • केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस धमाके में इस्‍तेमाल की गई बाइक, प्रज्ञा ठाकुर की थी, ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं. 
  • जस्टिस लोहाटी ने कहा, ‘मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर मिटा दिया गया था और इंजन नंबर संदेह के घेरे में है. साध्वी के मालिक होने का कोई सबूत नहीं है और न ही यह साबित करने का कोई सबूत है कि गाड़ी उनके कब्जे में थी.
  • जस्टिस लोहाटी ने कहा- बाइक में बम रखने का कोई सबूत नहीं मिला. कर्नल पुरोहित के खिलाफ भी कोई साक्ष्य नहीं मिला है.
  • मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस लाहोटी ने कहा कि इस केस की जांच 3-4 एजेंसियां कर रही थीं, लेकिन आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं मिले.
  • उन्‍होंने कहा कि इस मामले में कश्मीर से आरडीएक्स लाने के भी कोई सबूत नहीं मिले हैं.
  • जज ने कहा, ‘प्रॉसिक्युशन यह साबित नही कर पाया कि ब्लास्ट की जगह मिली थी, उसमें आरडीएक्‍स लगाया गया था. हालांकि आरोपी की बाइक वहां थी, यह साबित हुआ.
  • लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर आरोप था कि वे कश्मीर से आईडीएक्स लाए और अपने घर में उन्हें बनाया. जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि यह कोर्ट में साबित नहीं हो पाया है.
  • जज ने कहा, ‘हालांकि आरोप है कि आरडीएक्स लाया गया और उसका इस्तेमाल किया गया, लेकिन पुरोहित के घर में आरडीएक्स रखे होने का कोई सबूत नहीं है और न ही यह दिखाने का कोई सबूत है कि उन्होंने इसे इकट्ठा किया था और उसके घर में बम बनाया गया.

मालेगांव ब्‍लास्‍ट केस की पूरी टाइमलाइन

  • 29 सितंबर 2008: रात 9:35 बजे मालेगांव में मस्जिद के पास धमाका, 6 की मौत, 101 घायल
  • 30 सितंबर 2008: तड़के 3 बजे FIR दर्ज
  • 21 अक्टूबर 2008: ATS को जांच
  • 20 जनवरी 2009: ATS की चार्जशीट
  • 13 अप्रैल 2011: NIA के हाथ जांच
  • 21 अप्रैल 2011: ATS कीसप्लीमेंट्री चार्जशीट
  • 13 मई 2016: NIA की सप्लीमेंट्री चार्जशीट
  • 2017: सभी आरोपी जमानत पर बाहर
  • 27 दिसंबर 2017: NIA कोर्ट में चार्ज फ्रेमिंग की प्रक्रिया
  • 30 अक्टूबर 2018: 7 आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम
  • 3 दिसंबर 2018: पहला गवाह पेश
  • 4 सितंबर 2023: अंतिम गवाह पेश
  • 12 अगस्त 2024: गवाहों के बयान की प्रक्रिया पूरी
  • 25 जुलाई से 27 सितंबर 2024: प्रॉसिक्यूशन की बहस
  • 30 सितंबर से 3 अप्रैल 2025: डिफेंस की बहस
  • 4 अप्रैल से 19 अप्रैल 2025 तक प्रॉसिक्यूशन की जवाबी बहस
  • 19 अप्रैल 2025: अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया
  • 31 जुलाई 2025: कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया

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