अतुल प्रताप सिंह और मोशे जैकब है जॉब्सगार के फाउंडर्स
लखनऊ/ नई दिल्ली। भारत में लोग जहाँ बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर बिजनेस और कम्पनियाँ सही टैलेंट समय पर न मिलने के कारण ग्रोथ नहीं कर पा रही। किन्तु भारत जैसे युवा शक्ति वाले और प्रगतिशील देश में जहाँ नए बिजनेस और कम्पनियाँ अपने पाँव पसार रही हैं और फिर भी टैलेंटेड युवाओं को जॉब मिलने में परेशानी हो रही है, इसी समस्या को टेक्नोलॉजी के माध्यम से सुलझा रहा है भारत का पहला “इंडो- इस्राएली” टीम द्वारा स्थापित स्टार्टअप -“जॉब्सगार” आइये जॉब्सगार के फाउंडर्स, अतुल प्रताप सिंह और मोशे जैकब से जानते है की जॉब्सगार भारत में युवाओं और कंपनियों की मदद कैसे कर रहा है?
- क्या है जॉब्सगार और कैसे ये बाकी प्लेटफार्म से अलग है ?
जॉब्सगार एक टेक्नोलॉजी सोल्युशन है जो कई प्रोडक्ट के माध्यम से काम करता है और लोगो को उनके शहर या आस पास के जिलों में एक सम्मानपूर्ण जॉब दिलाने का प्रयास करता है। साथ ही साथ जॉब्सगार अपनी मैच मेकिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से लोकल बिजनेस और कंपनियों को 2 मिनट से भी कम समय में इंटरव्यू के लिए परफेक्ट मैच कैंडिडेट प्रदान करता है। पिछले दो दशक में, नौकरी और वर्कर खोजने के तरीकों में कुछ खास बदलाव नहीं देखे गए। सभी प्लेटफार्म या तो कैंडिडेट का डेटाबेस सेल करते हैं या जॉब्स को लिस्ट कर डायरेक्टरी या सोशल नेटवर्किंग की तरह काम करते हैं जहाँ लोग इधर उधर की जॉब देखकर उसपर अप्लाई कर देते हैं। भारत जैसे युवा देश में भी लोगों को सही नौकरी न मिलने का मुख्य कारण जॉब का न होना नहीं है, बल्कि, सही जॉब पे सही कैंडिडेट का आवेदन ना कर पाना रोजगार पाने को और मुश्किल बनाता है। इसी समस्या को जॉब्सगार आधुनिक तकनीक के माध्यम से सुलझाता है। इसका सबसे मुख्य फीचर है की जॉब्सगार पर आपको जॉब सर्च नहीं करनी पड़ती। जॉब्सगार का सिस्टम लोगो के लिए उनकी प्रोफाइल के अनुसार उनके लिए सही जॉब खोजकर उनको सूचित करता है और साथ ही साथ समय पे उनका इंटरव्यू करवा कर उन्हें अपने ही शहर में जॉब दिलाने का प्रयास भी करता है। - जॉब्सगार ऐप को इस्तेमाल कैसे करे?
ये छोटे शहरों में रहने वाले युवाओं या वहां काम करने वाले बिजनेस या कम्पनीज के लिए काफी आसान प्रोडक्ट है। जॉब्सगार ऐप पर नौकरी ढूंढे वाले युवाओं को ऐप डाउनलोड कर अपनी प्रोफाइल बनानी होती है और उसे समय समय पे अपडेट रखना होता है। जॉब्सगार का स्मार्ट सेक्रेटरी फीचर इन युवाओं के लिए हर वक्त इनकी प्रोफाइल से मैचिंग बेस्ट जॉब्स ढूंढ़ता रहता है। जॉब मिलते ही वह इन्हे सूचना देता है और जॉब पर अप्लाई कर लोग समय पे इंटरव्यू भी दे सकते हैं। दूसरी ओर बिजनेस जिन्हे वर्कर या स्टाफ की तलाश है वह अपनी आवश्यकता के अनुसार जॉब पोस्ट कर सकते है। जहाँ एक तरफ फूड और ग्रोसरी डिलीवरी कम्पनियां अभी भी दस मिनट में डिलीवरी करने का प्रयास कर रही हैं वही दूसरी ओर यह सिस्टम टेक्नोलॉजी के माध्यम से दो मिनट से भी कम समय में बेस्ट मैच वाले वर्कर्स का इंटरव्यू करवा रहा है जो अपने आप में एक चुनैती है। यही नहीं जॉब्सगार को ऐप के साथ साथ आप व्हाट्सप्प और वेबसाइट के माध्यम से भी इस्तेमाल कर सकते है। - कैसे जॉब्सगार लोगों को नौकरी ढूंढने में कर रहे हैं मदद? और नौकरी की तलाश कर रहे फ्रेशर्स को क्या संदेश देना चाहेंगे?
जॉब्सगार का उद्देश्य है की लोगों को उनके शहर या उसके आस पास के जिलों में नौकरी दिलाई जाए जिससे अंतर राज्जीय प्रवास को कम किया जा सके। जॉब्सगार की टेक्नोलॉजी ये सुनिश्चित करती है की इन युवाओं को इधर उधर की वेबसाइट या ऐप पर नौकरी खोजकर या उसपे अप्लाई कर अपना समय व्यर्थ ना करना पड़े। दूसरी ओर, लोकल बिजनेस या इन छोटे शहरों में काम कर रही बड़ी कंपनियों को सही टैलेंट समय पर मिल सके और इन बिजनेस की ग्रोथ कम ना होने पाए, जॉब्सगार अपने प्रोडक्ट के माध्यम से ये प्रयास कर रहा है। नौकरी ढूढ़ने वाले फ्रेशर्स को भी लोकल रोजगार से कैसे जोड़ा जाए ये एक बड़ी समस्या रही है। जॉब्सगार अपने। AI/ML तकनीक के द्वारा इन फ्रेशर्स को उनकी पहली जॉब से जोड़कर उनका इंटरव्यू करवाता है। फ्रेशर्स जो समय इधर उधर की वेबसाइट या ऐप पर जॉब खोजने में व्यर्थ करते है, वह बहुमूल्य समय उन्हें अपने स्किल्स को बढ़ाने या अपने रुझान के मुताबिक अच्छे कोर्सेज करने में लगाना चाहिए। किसी भी जॉब पर अप्लाई करने से उन्हें जॉब तो नहीं ही मिलती मगर उनके ऍप्लिकेशन्स की वजह से कम्पनिया भी उस कैंडिडेट तक नहीं पहुंच पाती जो उस जॉब के लायक हो। - इस ऐप को बनाने का ख़याल कब आया आपके दिमाग में?
जॉब्सगार के को-फाउंडर अतुल प्रताप सिंह और मोशे जैकब, जो एक इस्राएली नागरिक हैं, की मुलाक़ात 2017 में हुई थी। दोनों ही अपने क्षेत्र में अनुभवी बिजनेसमैन होने के साथ साथ अच्छे मित्र भी हैं। 2019 में जब अतुल ने इस समस्या पे काम करना शुरू किआ तो उन्होने इसके बारे में मोशे की राय भी मांगी। जब मोशे ने उन्हें बताया की अपने प्रोफाइल के मुताबिक़ और अपने शहर में जॉब न मिलना इजराइल जैसे अत्याधुनिक देश में भी एक बड़ी समस्या है तो दोनों ने मिलकर इस समस्या पे काम करना शुरू किया। कोविद महामारी ने इस समस्या को और अच्छे से उजागर कर दिया जहाँ लोग वापस अपने शहरों की ओर पलायन करने लग गए। पिछले एक साल में कंपनी ने उत्तर प्रदेश के 10-12 जिलों में काम करते हुए दो लाख से ऊपर वर्कर्स को अपने प्लेटफार्म पे रजिस्टर किया है। साथ ही साथ 17000 से भी ज्यादा जॉब्स के लिए एम्प्लॉयर्स को 2 मिनट से भी कम समय में इंटरव्यू करवाया है। यही नहीं जॉब्सगार प्लेटफार्म पर अब तक दस हजार से भी ज्यादा लोकल जॉब्स प्रदान की जा चुकी है। आने वाले कुछ महीनों में कंपनी अब उत्तर प्रदेश के बाकी जिलों में अपनी सेवा का विस्तार करने पर विचार कर रही है। - नए भारत के निर्माण में जॉब्सगार की क्या भूमिका हो सकती है?
भारत एक युवा देश हैं जहाँ टैलेंट और काम करने वाली जनसँख्या की कोई कमी नहीं है। साथ ही साथ विकास पथ पर अग्रसर इस देश में नए बिजनेस और कम्पनियाँ काफी तेजी से बढ़ रहे हैं जिससे लोकल मार्केट या छोटे शहरों में रोजगार के काफी सुनहरे अवसर बन रहे हैं। लोगों को रोजगार के लिए उनके घर परिवार से दूर ना जाना पड़े और उन्हें अपने शहर या आस पास एक सम्मानपूर्ण जॉब मिले, जॉब्सगार का यही प्रयास है। यदि लोगों को उनके शहर में रोजगार मिलेगा तो देश में अंतर राज्जीय पलायन जैसी बड़ी समस्या पे अंकुश लग सकता है। दूसरी ओर लोकल बिजनेस या कंपनियों को यदि समय पे स्टाफ मिले तो वह काफी तेजी से विकास कर सकती है। इसी समस्या को ध्यान में रखकर जॉब्सगार आने वाले समय में मार्केट में कई और भी अत्याधुनिक डिजिटल प्रोडक्ट्स को उतारेगा।