लोकसभा में ‘जी राम जी’ विधेयक पेश, मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर विपक्ष का हंगामा जारी

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नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष के विरोध के बीच ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार से जुड़े गारंटी योजना मनरेगा में बदलाव से जुड़ा ‘जी राम जी’ विधेयक पेश किया गया। योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर आपत्ति जताते हुए विपक्ष ने विधेयक का विरोध किया। ज्यादातर सदस्यों ने विधेयक को सदन की स्थायी समिति को भेजे जाने का अनुरोध किया।

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत-रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) के लिए गारंटी: (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025 पेश किया। यह विधेयक विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय विज़न के साथ जुड़ा एक ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करेगा। इसमें हर वित्तीय वर्ष में हर ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी दी जाएगी। इसमें परिवार के वयस्क सदस्य को उनकी इच्छा पर बिना किसी कौशल वाला काम दिया जाएगा।

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी देशवासियों के दिलों में बसते हैं और उन्होंने एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय के कल्याण की सोच दी थी। विधेयक में सरकार ने 100 दिनों के बजाय 125 दिनों की रोजगार गारंटी देने का प्रावधान किया है, जिसके लिए 1,51,282 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है। उन्होंने विपक्ष से पूछा कि क्या जवाहर रोजगार योजना का नाम बदलने से पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ अन्याय हुआ था। इसमें ग्राम विकास को प्राथमिकता दी गई है और 95 हजार करोड़ रुपये केन्द्र से खर्च किए जाएंगे। कम विकसित पंचायतों को अधिक काम मिलेगा। कृषि कार्यों के लिए विशेष फंड दिया गया है। बापू रामराज्य की बात करते थे और सरकार कृषि और मजदूरी से जुड़े कार्यों को एक समान करने का काम करेगी।

इसी बीच संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विधेयक लाया गया है और केवल विधायी क्षमता पर ही बहस सीमित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देशहित में कानून होगा उसे पारित करके रहेंगे। उन्होंने कहा कि विधायी कार्यों में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों का उपयोग किया जा सकता है।

कांग्रेस नेता प्रियंका ने विधेयक लाए जाने का विरोध किया और विधेयक को वापस लेकर व्यापक चर्चा हेतु स्थायी समिति को भेजे जाने का अनुरोध किया। यही मांग एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले और कुछ अन्य सदस्यों ने भी की।

प्रियंका ने कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण गरीबों को रोजगार और कानूनी सुरक्षा देता आया है। यह मांग-आधारित योजना ग्राम सभाओं को अधिकार देकर पंचायती राज और संविधान की मूल भावना को मजबूत करती है। प्रस्तावित विधेयक में केंद्र द्वारा धन आवंटन पहले से तय करने, अनुदान घटाने और नियंत्रण बढ़ाने से राज्यों व ग्राम सभाओं की भूमिका कमजोर होगी। काम के दिन बढ़ाने के बावजूद मजदूरी में वृद्धि नहीं की गई है। इससे रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर होता है। थरुर ने नाम का विरोध किया और कहा कि यह गांधीजी के ग्राम स्वराज की सोच के खिलाफ है।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि भगवान राम देश के लिए आदरणीय हैं लेकिन महात्मा गांधी का नाम योजना से जुड़ा होना ज्यादा प्रासंगिक होगा। उन्होंने कहा कि मांग आधारित के बजाय इसे सप्लाई आधारित बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। आरएसपी नेता एके प्रेमचंद्रनन ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह राष्ट्रपिता का अपमान है।

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