
Jharkhand : पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन को भारत निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को चुनावी प्रचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से तैयार की गई सामग्री के अनुचित उपयोग पर सख्ती बरतते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, विश्वसनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है, ताकि मतदाताओं को गुमराह करने वाली किसी भी भ्रामक या परिवर्तित सामग्री पर रोक लगाई जा सके।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रचार में यदि किसी भी प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता से तैयार या डिजिटल रूप से बदली गई तस्वीर, ऑडियो या वीडियो का उपयोग किया जाता है, तो उस पर साफ-साफ “कृत्रिम बुद्धिमत्ता से निर्मित” या “संशोधित सामग्री” लिखा होना आवश्यक होगा। यह घोषणा दृश्य सामग्री में कम से कम दस प्रतिशत भाग में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए। वहीं, ऑडियो सामग्री में इसे शुरुआती दस प्रतिशत हिस्से में स्पष्ट रूप से बोला जाना अनिवार्य होगा।
आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि ऐसी किसी भी सामग्री में उसके निर्माता या जिम्मेदार संस्था का नाम और विवरण दर्ज किया जाना जरूरी है। किसी व्यक्ति की पहचान, आवाज़ या स्वरूप को भ्रामक ढंग से पेश करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर नियमों का उल्लंघन करने वाली या आपत्तिजनक सामग्री पाई जाती है, तो उसे तीन घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा।
साथ ही, सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता से निर्मित सभी सामग्रियों का पूरा अभिलेख सुरक्षित रखें। इसमें निर्माता का विवरण, निर्माण की तारीख और समय जैसी जानकारी शामिल होनी चाहिए, ताकि आवश्यक होने पर जांच और सत्यापन किया जा सके।
इन दिशा-निर्देशों के माध्यम से निर्वाचन आयोग ने यह संदेश दिया है कि चुनावों में तकनीक का प्रयोग जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ किया जाना चाहिए, ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनी रहे।















