झाँसी : अनोखी कांवड़ यात्रा जल की जगह पौधों से दिया पर्यावरण बचाने का संदेश

झाँसी : पूरे देश में जहाँ सावन माह के दौरान शिवभक्त गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं, वहीं झाँसी में एक बेहद अनोखी और प्रेरणादायक कांवड़ यात्रा देखने को मिली। इस विशेष यात्रा में कांवड़ियों ने गंगाजल या किसी अन्य पवित्र नदी का जल नहीं, बल्कि कांवड़ में पौधे उठाकर शिवभक्ति के साथ-साथ पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।

इस अनोखी पहल का आयोजन जिला जनकल्याण समिति और रानी झाँसी फाउंडेशन द्वारा किया गया। यात्रा की शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई पार्क से हुई, जिसे धर्मगुरु आचार्य हरिओम पाठक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कांवड़ में पौधे रखकर चल रहे युवाओं ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता को जन-जन तक पहुँचाया।

यात्रा के दौरान एक रैली भी निकाली गई, जिसमें स्कूली बच्चों और एनसीसी कैडेट्स ने पोस्टर और बैनर लेकर भाग लिया। रैली में पर्यावरण सुरक्षा के नारे लगाए गए और प्लास्टिक, कचरा एवं प्रदूषण को राक्षस के रूप में दर्शाकर लोगों को उनके दुष्प्रभावों से अवगत कराया गया।

कांवड़ यात्रा में शामिल युवाओं ने अलग-अलग रूप धारण कर पर्यावरण के दुश्मनों, जैसे प्लास्टिक, धुआँ और कचरे को नकारात्मक शक्तियाँ बताया। इन दृश्यों को देखकर राहगीर भी काफी प्रभावित हुए और कई लोगों ने फोटो एवं वीडियो बनाकर इस पहल को सोशल मीडिया पर साझा किया।

इस यात्रा ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भगवान की पूजा केवल जल चढ़ाने से नहीं, बल्कि उनकी बनाई हुई प्रकृति की रक्षा करके भी की जा सकती है। झाँसी की इस अनोखी कांवड़ यात्रा ने न केवल भक्ति की मिसाल पेश की, बल्कि एक सार्थक सामाजिक संदेश भी दिया धरती बचेगी, तो भक्ति भी बचेगी।

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