
झांसी । जनपद झाँसी की तहसील टहरौली के ग्राम कुकरगाँव में बेतवा नदी में भारी पैमाने पर अवैध खनन का मामला प्रकाश में आया है। क्षेत्रीय ग्रामीणों और जिला पंचायत अध्यक्ष श्री पवन कुमार गौतम द्वारा भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, उत्तर प्रदेश को भेजे गए शिकायती पत्र में इस मामले का गंभीर खुलासा किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली निवासी भरत पहवा, मेसर्स पी.एस.ए. कॉन्ट्रेक्टर एल.एल.पी के नाम से तहसील टहरौली के ग्राम कुकरगाँव गाटा संख्या-01क खण्ड संख्या-02 में पांच वर्षीय खनन पट्टा स्वीकृत कराया गया है। हालांकि आरोप है कि पट्टाधारक द्वारा न केवल स्वीकृत जियोकोर्डिनेट्स के बाहर बल्कि पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र (ईसी) की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए प्रतिबंधित लिफ्टर मशीनों से नदी की जलधारा में 20 से 30 मीटर गहराई तक अवैध खनन कराया जा रहा है।
300 से अधिक वाहनों से प्रतिदिन बालू की अवैध ढुलाई

शिकायत में बताया गया है कि खनन क्षेत्र में करीब 50 से 55 लिफ्टर मशीनें 24 घंटे कार्य कर रही हैं। जिससे प्रतिदिन 300-350 डंपर बिना किसी वैध ई-एमएम-11 (रॉयल्टी प्रपत्र) के बालू का परिवहन किया जा रहा है। इससे शासन को करोड़ों रुपये मासिक राजस्व की क्षति हो रही है।
प्रशासनिक निष्क्रियता और ग्रामीणों में भय
ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि इस अवैध खनन के कारण नदी में कई जानवर डूब कर मर गए और पर्यावरणीय संतुलन बुरी तरह बिगड़ गया है। शिकायत के बावजूद प्रशासन ने पट्टाधारक के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टे शिकायतकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाने और जेल भेजने की धमकी देकर दहशत का माहौल बना दिया गया है।
स्कूल जाने वाले बच्चे भी संकट में

अध्यक्ष जिला पंचायत ने पत्र में बताया कि खनन सामग्री के परिवहन के लिए गाँव के बीच से मार्ग निकाला गया है, जहाँ तीन प्राथमिक विद्यालय और दो पूर्व माध्यमिक विद्यालय स्थित हैं। भारी वाहनों के कारण स्कूली बच्चों और ग्रामीणों का रास्ता चलना दूभर हो गया है। सड़क पर अत्यधिक धूल उड़ने से लोग बीमार हो रहे हैं और पर्यावरणीय मानकों का कोई पालन नहीं किया जा रहा।
एनजीटी और हाईकोर्ट जाने की चेतावनी
पवन कुमार गौतम ने पत्र में मांग की है कि उक्त खनन क्षेत्र की उच्च स्तरीय जाँच करायी जाये। पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्तों की अवहेलना, स्वीकृत जियोकोर्डिनेट्स के बाहर खनन, प्रतिबंधित लिफ्टर मशीनों का प्रयोग और अवैध परिवहन के आधार पर खनन पट्टा तत्काल निरस्त किया जाये।
यदि निष्पक्ष जांच नहीं होती है तो मजबूरन एनजीटी और माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
ग्रामीणों में गुस्सा, बेतवा का अस्तित्व संकट में
बेतवा नदी बुन्देलखण्ड की जीवन रेखा मानी जाती है। यदि इसी प्रकार खनन कार्य अवैध रूप से चलता रहा तो आने वाले वर्षों में नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। साथ ही पर्यावरणीय संतुलन और जलचरों का जीवन भी प्रभावित होगा।
मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव को भेजी गई प्रतिलिपि
इस गंभीर मामले की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण, जिलाधिकारी झाँसी को भी प्रतिलिपि के रूप में भेजी गई है। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर अविलंब कार्रवाई की जाए ताकि बेतवा नदी को विनाश से बचाया जा सके।
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