
झांसी: महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में पहली बार जटिल हाईटल हर्निया का ऑपरेशन किया गया। इस प्रकार मेडिकल कॉलेज ने एक और उपलब्धि हासिल की है। इसके लिए जिलाधिकारी ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल मयंक सिंह और प्रोफेसर डॉ. नीरज कुमार बनोरिया की टीम को बधाई दी है।
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक मरीज, जिसका नाम महेंद्र है और जो गुरसरांय का रहने वाला है, को लंबे समय से सीने में जलन और खाना खाने के बाद भोजन का पेट से वापस गले में आना जैसी परेशानी थी। इसके लिए वह 28 जुलाई को कॉलेज में दिखाने आए। उन्हें भर्ती होने की सलाह दी गई और सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नीरज कुमार बनोरिया के अंतर्गत भर्ती किया गया।
हाईटल हर्निया एक दुर्लभ बीमारी
जांच के बाद पता चला कि निचला एसोफेजियल स्फिंक्टर और पेट का ऊपरी हिस्सा डायाफ्राम के माध्यम से सीने के क्षेत्र में ऊपर की ओर खिसक गया है। इस बीमारी को “हाईटल हर्निया” कहा जाता है। यह एक दुर्लभ बीमारी है। ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते और इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। गंभीर लक्षणों में निगलने में कठिनाई, सीने में जलन, डकार, थकान और सीने में दर्द शामिल हैं।
सर्जरी के छह घंटे पहले मरीज को भोजन और पानी नहीं दिया गया
मरीज को दूरबीन लैप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेशन की सलाह दी गई। ऑपरेशन 30 जुलाई 2025 को तय किया गया। सर्जरी से 6 घंटे पहले मरीज को भोजन और पानी नहीं दिया गया। इसके बाद तापमान, नाड़ी, रक्तचाप और शुगर की जांच की गई। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने ईसीजी, ब्लड टेस्ट और एक्स-रे जैसी जांच पूरी कीं। एनेस्थीसिया टीम को रिपोर्ट साझा की गई और फिर मरीज का दूरबीन विधि द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है और अब अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है।
डीएम ने सर्जरी एवं एनेस्थीसिया विभाग की टीम को दी बधाई
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में पहली बार हुए इस जटिल ऑपरेशन की सफलता पर जिलाधिकारी मृदुल चौधरी और प्रिंसिपल डॉ. मयंक सिंह ने सर्जरी विभाग और एनेस्थीसिया विभाग की टीम को बधाई दी। उन्होंने इसे अत्यंत दुर्लभ बीमारी का सफल उपचार बताया और भविष्य में भी ऐसे जटिल ऑपरेशन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सर्जरी विभाग की टीम
सर्जरी विभाग की टीम में प्रो. डॉ. नीरज कुमार बनोरिया विभागाध्यक्ष, डॉ. राहुल लिटोरिया एमएस, डॉ. विजय शर्मा, डॉ. शिखर, डॉ. शिष्टि, डॉ. संदीप, डॉ. अंशु, डॉ. नितिन, डॉ. विद्वषी, डॉ. संजीव और डॉ. चंद्रप्रकाश शामिल थे।
एनेस्थीसिया विभाग की टीम में डॉ. फाहद, डॉ. रवि शंकर, डॉ. दत्ता, डॉ. अमित, डॉ. अंजली और डॉ. शर्धि शामिल रहीं।
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