
Jhansi : झांसी जेल में बंद कैदी करण कुशवाहा की संदिग्ध मौत के मामले में अब हैंडराइटिंग मिलान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जेल विभाग ने यह कार्रवाई आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की शिकायत के बाद प्रारंभ की है।
अमिताभ ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनके पास मौजूद अभिलेखों के अनुसार इस घटना की जांच मुख्य न्यायाधीश, किशोर न्याय बोर्ड, झांसी हर्षिता सिंह द्वारा की गई थी। उन्होंने 34 पृष्ठों की विस्तृत जांच आख्या तैयार कर अपने निष्कर्ष में कहा था कि कैदी करण कुशवाहा की मौत जेल अधिकारियों की प्रताड़ना और दबाव का परिणाम प्रतीत होती है।
जांच में सामने आए गंभीर आरोप
जज हर्षिता सिंह की जांच रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि जेल प्रशासन के अधिकारी — जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता, डिप्टी जेलर जगबीर सिंह चौहान और डिप्टी जेलर रामनाथ मिश्रा — कैदियों से राइटर (लेखक) बनाए जाने के नाम पर पैसों की वसूली करते थे। रिपोर्ट में कहा गया कि जब करण कुशवाहा ने इस भ्रष्टाचार का विरोध किया, तो उसे प्रताड़ित किया गया और अंततः उसने आत्महत्या कर ली।
रिपोर्ट में जेल प्रशासन पर बंदियों से अनावश्यक कार्य करवाने, उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने और मानसिक दबाव बनाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। जज ने अपनी जांच टिप्पणी में यहां तक कहा था कि “झांसी जेल में कुछ तो दुर्गंध है।”
यह जांच रिपोर्ट सीजेएम झांसी द्वारा 23 जनवरी 2025 को ही डीएम और एसएसपी झांसी को भेजी गई थी, किंतु अब तक इसमें ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी।
डीआईजी जेल ने उठाए सवाल
अमिताभ ठाकुर की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए डीआईजी जेल प्रदीप गुप्ता ने बताया कि डीआईजी जेल, कानपुर परिक्षेत्र की 17 अक्टूबर 2025 की आख्या में यह उल्लेख किया गया है कि करण कुशवाहा के पास से बरामद सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग रिपोर्ट प्राप्त किए बिना न्यायिक जांच में प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले गए थे।
डीआईजी के अनुसार, यह जांच प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं मानी जा सकती, क्योंकि बिना फोरेंसिक परीक्षण रिपोर्ट के निष्कर्ष पर पहुँचना उचित नहीं है। वर्तमान में विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) झांसी में सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग का परीक्षण कार्य चल रहा है।
डीआईजी ने यह भी कहा कि जैसे ही रिपोर्ट प्राप्त होगी, दोषी पाए जाने वाले जेल अधिकारियों के विरुद्ध समुचित विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अमिताभ ठाकुर ने फिर लिखी चिट्ठी
इस बीच, अमिताभ ठाकुर ने डीजी जेल को दोबारा पत्र लिखकर फोरेंसिक रिपोर्ट शीघ्र प्राप्त करने और अग्रिम कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला न केवल एक व्यक्ति की मौत का है, बल्कि जेल प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और अमानवीय व्यवहार को उजागर करने वाला उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि यदि जांच में जेल अधिकारियों की भूमिका साबित होती है, तो यह जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करेगा।










