
Jhansi : लगभग हर माह लोगों को जागरूक करने के लिए यातायात पुलिस अभियान चलाती है। इसके बाद भी हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। एक जनवरी से सितंबर तक एक हजार सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इनमें 270 लोगों की जान चली गई। यानी हर रोज़ एक व्यक्ति की मौत सड़क हादसे में हुई है।
यातायात नियमों का पालन न करने, नशा करके वाहन चलाने के कारण सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। कभी यातायात माह, कभी यातायात पखवाड़ा और कभी यातायात सप्ताह के तहत लोगों को नियमों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया गया। यातायात पुलिस की ओर से आयोजित किए जाने वाले इन कार्यक्रमों के दौरान लोगों ने नियमों का पालन किया भी, लेकिन अभियान खत्म होते ही पुराने ढर्रे पर लौट आए। यही वजह है कि जिले में सड़क हादसों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। कुछ ई-रिक्शा व ऑटो चालक स्कूली बच्चों तक को क्षमता से अधिक बैठाकर ले जाते हैं, जिसके कारण हादसा होने का खतरा बढ़ जाता है। आंकड़ों को देखा जाए तो प्रतिदिन एक व्यक्ति की मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है।
कड़े नियमों की धज्जियां उड़ा रहे नाबालिग
सरकार व परिवहन विभाग की ओर से कड़े नियम बनाए गए हैं कि नाबालिगों को वाहन न चलाने दें। परिजनों पर सजा का प्रावधान किया गया है। इसके बाद भी लोग नहीं मानते और बच्चे की ज़िद पर उन्हें वाहन देकर दूसरों की ज़िंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं। मंगलवार को जीवनशाह तिराहा के पास एक किशोर गलत दिशा से तेज रफ्तार में बाइक चलाते हुए आया और सामने से आ रही दूसरी बाइक से टकरा गया। खुद को गंभीर चोट आई और दूसरी बाइक के चालक को भी गंभीर चोट लगी।
रोजाना जा रही एक व्यक्ति की जान
जिले में लगातार सड़क हादसे हो रहे हैं। उनके मुताबिक हर रोज़ एक व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। एसएसपी बीबीजीटीएस मूर्ति का कहना है कि लोगों को जागरूक किया जा रहा है। अभियान के माध्यम से लोग समझ भी रहे हैं, मगर इतने हादसों में मौत होने का बड़ा कारण हेलमेट न लगाना और गलत दिशा से निकलना है। ड्रिंक एंड ड्राइव और नाबालिगों का वाहन चलाना भी प्रमुख वजह है।
जरा संभलकर… सबसे ज्यादा इन मार्गों पर हुए हादसे
सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो सबसे ज्यादा हादसे एनएच, कानपुर रोड, मऊरानीपुर रोड, ललितपुर रोड पर हुए हैं। जिले में सभी मार्गों पर कुल 42 ब्लैक स्पॉट हैं। अधिकांश स्थानों पर संकेतक और चेतावनी बोर्ड लगे हुए हैं। जहां नहीं हैं, वहां लगवाए जा रहे हैं।
झांसी में हर तीन दिन में 13 लोग लगा रहे मौत को गले
झांसी जिले में नौ माह यानी 273 दिनों में करीब 1200 लोग मौत को गले लगा चुके हैं। यानी हर तीन दिन में 13 लोगों की जान जा रही है। नौ माह में 102 लोगों ने जिंदगी से हारकर मौत को गले लगाया है। किसी ने फंदे से, किसी ने ज़हर खाकर, किसी ने ट्रेन से कटकर तो किसी ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। मरने वालों में युवाओं और महिलाओं की संख्या अधिक है।
102 मौतों में युवाओं व महिलाओं ने अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ने के बजाय मौत का रास्ता चुना है। तेजी से बदलते दौर में युवाओं की सहनशीलता घटती जा रही है। बढ़ते तनाव और अवसाद के बीच आत्महत्या के केस बढ़ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ में दिन-प्रतिदिन अवसाद के रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। आंकड़ों के मुताबिक हर दिन यहां 20 से 25 के बीच काउंसलिंग कराने पहुंचते हैं। इस साल बीते नौ माह में 102 लोगों ने मौत को गले लगाया है। इनमें पुरुषों के मुकाबले आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक रही। आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और पैसे का लेन-देन प्रमुख वजह दिख रही है।