जौनपुर: राजकीय नलकूप की बेशकीमती आराजी को सुरक्षित रखने हेतु नलकूप विभाग ने दी तहरीर, मचा हड़कंप

जौनपुर: नगर के जंघई रोड पर प्रथम पंचवर्षीय योजना में लगाये गये राजकीय नलकूप की जिस वेशकीमती आराजी पर तथाकथित भू माफियाओं द्वारा कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर अवैध रूप से कब्जा करना चाहते हैं उसे हमारे पूर्वजों ने वर्ष 1954-55 में राजकीय नलकूप लगाये जाने हेतु अपनी बैनामा सुदा आराजी का एक भाग निःशुल्क दिया था।

उक्त बातें मुंगराबादशाहपुर नगर निवासी तौकीर अहमद पुत्र अकील अहमद ने कहा। उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए बताया कि राजस्व गांव कमालपुर की आराजी संख्या 40,41,42,43 चार किता आराजी जुलाई 1908 में हमारे पूर्वज शेख मोहम्मद अकबर वल्द शेख गाजी ने कालिका सिंह, चंद्रिका सिंह आदि से बैनामा लिया था।जिसका बैनामा सब रजिस्ट्रार मछली शहर तहसील कार्यालय में दिनांक 10 अगस्त 1908 को बही नंबर 1 जिल्द 125 सफहाल 77-78 न116 पर अंकित है। जिसके गवाह देव नारायण सिंह व गंगा दीन थे तथा तत्कालीन लाला पटवारी राम सुन्दर ने तस्दीक किया था। बैनामा अंकित किया गया था।

तौकीर ने बताया कि प्रथम पंचवर्षीय योजना में वर्ष 1954-55 में जब मुंगराबादशाहपुर के लिए राजकीय नलकूप आया था तब जगह के लिए अधिकारी भटक रहे थे। जिसकी जानकारी होने पर हमारे दादा जी ने अपनी बैनामा सुदा आराजी का एक हिस्सा राजकीय नलकूप लगाये जाने हेतु निःशुल्क दे दिया। जो आज भी कायम है। राजकीय नलकूप का पानी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने हेतु पक्की नाली का निर्माण कराया गया था। जिसे तथाकथित लोगों द्वारा अपने कब्जे में लेकर भवन निर्माण करा लिया गया। तौकीर अहमद द्वारा प्रस्तुत बैनामा पेपर पर शिवाला मंदिर अंकित है। जो नागा बाबा कुटी के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि उक्त आरिजी फसली संख्या चाहे 1356 हो या 1359 अथवा 1369 खतौनी में नाम अंकित है। तौकीर अहमद ने बताया कि हमारे पूर्वजों द्वारा बैनामा ली गई आराजी पर शिवाला मंदिर अंकित था। जिसके कारण हम लोगों ने मंदिर को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई।

उन्होंने बताया कि इसी बीच कुछ तथाकथित लोगों द्वारा तत्कालीन राजस्व विभाग के लेखपाल एवं कानूनगो को पटाकर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लिया गया।जिसके जरिए राजकीय नलकूप और मंदिर की आराजी पर अपना मालिकाना हक जताया जाने लगा। उन्होंने बताया कि मंदिर की आराजी को लेकर न्यायालय अपर सिविल जज चतुर्थ के न्यायालय में वाद संख्या 67/98 बिस्मिल्ला बनाम विश्वनाथ आदि प्रस्तुत कर दिया गया।

जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील एवं साक्ष्य को देखते हुए बिस्मिल्ला की याचिका को 8 जनवरी 1986 को खारिज कर दिया। तौकीर अहमद द्वारा दी गई जानकारी कहां तक सत्य है यह तो आने वाला समय स्वयं में गवाह होगा। फिलहाल राजकीय नलकूप संख्या 8 एमएसजी की बेशकीमती आराजी पर तथाकथित भू माफियाओं द्वारा किए जा रहे अवैध कब्जे से मुक्त कराने हेतु नलकूप विभाग द्वारा थानाध्यक्ष को तहरीर दिये जाने की सूचना मिलते ही तथाकथित भू माफियाओं में न केवल हड़कंप मच गया है बल्कि राजकीय नलकूप की नाली पर किए गए भवन निर्माण पर योगी आदित्यनाथ के बुल्डोजर का भय सिर पर चढ़कर बोलने लगा है।

बताया जाता है कि राजस्व विभाग के अभिलेखों में दर्ज नाली की आराजी पर तथाकथित लोगों द्वारा किए जाने वाले अवैध कब्जे को लेकर अधिशासी अभियंता नलकूप द्वारा मौका मुआयना कर अवैध कब्जा करने वालों को तत्काल प्रभाव से खाली करने का निर्देश दिया गया है। जिसे लेकर अवैध कब्जा करने वालों में हड़कंप मच गया है ।

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