
Jaunpur : जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित दिशा की बैठक के बाद उस समय हलचल मच गई जब मीडिया ने विभिन्न जनप्रतिनिधियों से बातचीत की, लेकिन मछलीशहर विधायक डॉ. रागिनी सोनकर पर पत्रकारों ने विरोध दर्ज कराया। पत्रकारों का आरोप था कि विधायक किसी भी मुद्दे पर उनके फोन कॉल रिसीव नहीं करतीं। कई बार बयान लेने के प्रयास में उनका तथाकथित जनसंपर्क अधिकारी ही पत्रकारों को स्वयं बयान देने को कह देता है और यह कहकर टाल देता है कि “विधायक व्यस्त हैं।”
पत्रकारों का कहना था कि जनप्रतिनिधि जनता की आवाज हैं और मीडिया उनके माध्यम से जनता तक सूचनाएं पहुँचाता है। ऐसे में विधायक का इस तरह संवाद से बचना लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। बैठक के बाद जब पत्रकारों ने अपना विरोध दर्ज किया और कई स्क्रीनशॉट भी दिखाए तो विधायक के चेहरे पर असहजता साफ झलकने लगी।
मामला यहीं नहीं रुका। इसके बाद गेस्ट हाउस से लगातार विधायक के सहयोगियों द्वारा पत्रकारों को फोन कर बुलाने का प्रयास किया गया, मगर पत्रकारों ने सामूहिक रूप से वहाँ न पहुँचने का निर्णय लिया। इस रुख से विधायक और उनकी टीम बैकफुट पर आ गई।
लगातार विरोध और दबाव के बीच डॉ. सोनकर ने करीब 20 दिन बाद कुछ पत्रकारों के संदेशों का जवाब दिया और देर से प्रतिक्रिया देने के लिए खेद जताते हुए माफी मांगी। हालांकि पत्रकारों का कहना है कि केवल माफी मांगना पर्याप्त नहीं है, बल्कि विधायक को संवाद की पारदर्शी परंपरा अपनानी चाहिए, ताकि मीडिया और जनता के बीच उनकी छवि सकारात्मक बनी रहे।
इस घटना ने जिले की राजनीति और मीडिया जगत में चर्चा का विषय बना दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि जनता के प्रतिनिधि यदि संवाद से दूरी बनाएंगे तो उनकी समस्याएं और अपेक्षाएं किस माध्यम से शासन-प्रशासन तक पहुँचेगी। पत्रकारों ने स्पष्ट किया है कि वे लोकतंत्र की चौथी शक्ति के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे और जनहित के मुद्दों पर आवाज उठाते रहेंगे।












