
Jaunpur: पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर कटघरे में है। जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा और दारोगा गोपाल जी तिवारी समेत 9 लोगों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने और एक पीड़ित युवक को ही फंसाने के गंभीर आरोप में केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) की जांच और निर्देश के बाद हुई।
पिता की हत्या के बाद इंसाफ की लड़ाई, लेकिन मिला फर्जी केसों का जाल
पूरा मामला बागपत जिले के दोघट थाना क्षेत्र के निरपुड़ा गांव से जुड़ा है, जहां 29 सितंबर 2012 को निश्चय राणा के पिता बृजपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निश्चय राणा ने हत्यारों के खिलाफ केस दर्ज कराया, लेकिन तभी से उस पर समझौते का दबाव बनने लगा।
आरोप है कि रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा और ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा लगातार उस पर दबाव बनाते रहे कि वह केस वापस ले ले और सुलह कर ले। निश्चय द्वारा इनकार किए जाने के बाद उस पर प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हुआ। यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में उस पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। इतना ही नहीं, उसके खिलाफ महिलाओं के जरिए फर्जी सामूहिक दुष्कर्म के केस तक दर्ज करवा दिए गए। हालांकि, इन मामलों में वह बरी होता गया।
जौनपुर में दर्ज हुआ फर्जी मुकदमा, पुलिस भी मिली आरोपियों से
निश्चय राणा का आरोप है कि वर्ष 2019 में जौनपुर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के राम आसरे सिंह को रुपये का लालच देकर उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई गई। इसके आधार पर तत्कालीन थाना प्रभारी संजय वर्मा ने वर्ष 2023 में निश्चय के खिलाफ धोखाधड़ी, गाली-गलौज समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की।
इस मामले के विवेचक दारोगा गोपाल जी तिवारी ने जांच के दौरान न केवल गंभीर धाराएं जोड़ दीं, बल्कि बिना गिरफ्तारी के फर्जी नोटिसों के आधार पर कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी। आरोप है कि यह सब सुनियोजित साजिश के तहत किया गया ताकि निश्चय को मानसिक और कानूनी रूप से कमजोर किया जा सके।
ADG के आदेश पर दर्ज हुआ केस
निश्चय राणा ने इस पूरी साजिश की शिकायत वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) से की। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए जांच के बाद ADG के निर्देश पर लाइन बाजार थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा, दारोगा गोपाल जी तिवारी, राम आसरे सिंह, बाबू, नीरज, रतनवीर उर्फ मोनू, रिटायर्ड इंस्पेक्टर प्रेमवीर सिंह राणा और ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 469, 471 (जालसाजी व फर्जी दस्तावेज), 506 (धमकी) और 120-B (षड्यंत्र) के तहत केस दर्ज किया गया।
अब भी सेवा में हैं आरोपी पुलिसकर्मी
गौरतलब है कि तत्कालीन इंस्पेक्टर संजय वर्मा प्रमोशन पाकर इस समय फतेहगढ़ में बतौर क्षेत्राधिकारी (CO) तैनात हैं। वहीं दारोगा गोपाल जी तिवारी अब भी जौनपुर जिले में ही सेवारत हैं। ऐसे में पुलिस महकमे की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे किसी पीड़ित को ही आरोपी बनाकर उसे मानसिक, सामाजिक और कानूनी रूप से प्रताड़ित किया गया।
पुलिस व्यवस्था पर गहराया अविश्वास
इस पूरे मामले से न सिर्फ कानून व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह भी उजागर होता है कि कैसे सत्ता, पैसे और संबंधों के दम पर कानून के रखवाले ही उसे अपने हित में मोड़ सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि इस केस में आगे की कार्रवाई कितनी निष्पक्ष और प्रभावी होती है।
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