लखनऊ । हिंदी के जाने-माने कवि, चिंतक तथा स्तंभकार भगवान स्वरूप कटियार के 75 साल का होने के अवसर पर जन संस्कृत मंच (जसम) उन्हें सम्मानित करेगा। श्री कटियार भले ही उम्र 75 की हो, पर उनके अंदर एक नौजवान आज भी उछाल मारता है। कहते हैं ‘क्रांति हमेशा नौजवान होती है’। ऐसे ही वे नौजवान क्रांतिकारी हैं जिनके अंदर एक बेहतर समाज बनाने की उत्कंठा और स्वप्न है। जीवन इसी को समर्पित है।
सम्मान समारोह का आयोजन जसम और आस इनिशिएटिव ने संयुक्त रूप से निराला सभागार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, हजरतगंज में 2 फरवरी को दिन के 3:30 बजे से किया है। कार्यक्रम का शीर्षक है ‘संघर्ष से निर्मित विचारशील शख्सियत भगवान स्वरूप कटियार से रूबरू’।
इस मौके पर भगवान स्वरूप कटियार को सम्मान पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा। उन पर केंद्रित फिल्म दिखाई जाएगी। दो कृतियों का विमोचन होगा। मुख्य अतिथि जाने-माने वामपंथी विचारक जयप्रकाश नारायण होंगे। वंदना मिश्रा, रूपरेखा वर्मा, वीरेंद्र यादव, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, सुभाष राय, कौशल किशोर, चंदेश्वर, असगर मेहदी, शैलेश पंडित, प्रतिभा कटियार, शकील सिद्दीकी आदि कटियार जी के रचना तथा सामाजिक कर्म पर चर्चा करेंगे।
भगवान स्वरूप कटियार का जन्म 1 फरवरी 1950 को कानपुर के गांव में हुआ। वे उत्तर प्रदेश सूचना विभाग से 31 जनवरी 2010 को सहायक निदेशक के पद से सेवा मुक्त हुए। शुरू से ही उनके अंदर जनवादी समाजवादी चेतना रही है तथा मार्क्स, डॉक्टर अंबेडकर तथा रामस्वरूप वर्मा के विचारों से प्रभावित रहे हैं। पहला कविता संग्रह ‘विद्रोही गीत’ के नाम से आया। अब तक दर्जन से अधिक उनकी कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। आठ कविता संग्रह है।
‘अन्याय की परंपरा के विरुद्ध’ तथा ‘जनता का अर्थशास्त्र’ उनकी वैचारिक कृतियां हैं। दुनिया के अनेक देशों की उन्होंने यात्राएं की हैं। इन यात्राओं पर लिखी उनकी किताब ‘अपनी धरती अपना आकाश’ पिछले साल प्रकाशित हुई।
भगवान स्वरूप कटियार जीवन की लंबी यात्रा के बाद भी ना थके हैं, न रुके हैं। उनके लिए लिखना लड़ने की तरह है। वह कविता, साहित्य, विचार, संगठन और आंदोलन के व्यक्ति हैं। घूमना, दुनिया को देखना, लोगों से मिलना-जुलना और उनके साथ हो लेना खास गुण है। इन्हीं सबने उन्हें साहित्य और समाज में निरंतर सक्रिय बनाया है।