
Jammu Kashmir : श्रीनगर के विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट (ट्रैफिक) अदालत के शबीर अहमद मलिक की अदालत ने मोटर व्हीकल्स एक्ट की धारा 199A के तहत एक पिता को दोषी ठहराया और उसे तीन साल की सजा सुनाई। पिता ने स्वीकार किया था कि उसने अपने नाबालिग बेटे को वाहन चलाने की अनुमति दी जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
अदालत ने आरोपी को 3 साल की साधारण कैद, 25,000 रुपये जुर्माना और वाहन का पंजीकरण 12 महीने के लिए रद्द करने का आदेश दिया। आरोपी को कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था इसलिए अदालत ने उसे 2 लाख रुपये के बॉन्ड पर दो साल तक शांति और अच्छे आचरण बनाए रखने की शर्त पर प्रोबेशन का लाभ दिया। बॉन्ड की शर्तों का उल्लंघन होने पर सजा लागू होगी और राशि सरकार को जब्त की जाएगी।
अदालत ने सड़क सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत में पिछले पांच वर्षों में 8,10,913 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए हैं। नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने की प्रवृत्ति स्कूलों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में दुर्घटनाओं और जान-माल के नुकसान का कारण बन रही है।
अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि सभी सरकारी और निजी स्कूलों में माता-पिता और अभिभावकों को इस विषय पर शिक्षित किया जाए और “नाबालिगों के लिए वाहन निषेध नीति” बनाई जाए। साथ ही एजीपी ट्रैफिक, जेके को नाबालिग चालकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाने के लिए कहा गया।
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