
Jammu Kashmir : श्रीनगर में हजरतबल दरगाह के पास बीते शुक्रवार ईद-ए-मिलाद के अवसर पर अशोक स्तंभ वाली एक नई शिलापट्ट को कुछ लोगों ने ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद वहां बवाल फैल गया। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
सूत्रों के अनुसार, निगीन पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 76/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें धारा 300, 352, 191 (2), 324 (4), 196, 61 (2) बीएनएस और पीआईएनएच अधिनियम, 1971 शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, इस घटना में राष्ट्रीय प्रतीकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। भारत में राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीकों का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए भारतीय ध्वज संहिता, 2002 और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 लागू हैं। इन कानूनों के तहत, यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक या अन्य स्थानों पर राष्ट्रीय प्रतीक का विकृति, नष्ट या अपमान करता है, तो उसे अधिकतम 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने कभी किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग होते नहीं देखा। उन्होंने सवाल किया, “हजरतबल दरगाह के पत्थर पर प्रतीक चिन्ह लगाने की क्या जरूरत थी? क्या सिर्फ काम ही काफी नहीं था?”
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