
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान को अपने रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला और इससे सिर्फ जान-माल का नुकसान हुआ।
शनिवार (15 नवंबर) को उन्होंने दावा किया कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई भारत की कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से कोई ठोस परिणाम नहीं मिला। उन्होंने कहा,
“मुझे उम्मीद है कि इस तरह के ऑपरेशन आगे नहीं होंगे। इससे न सिर्फ हमारे लोग मारे गए, बल्कि सीमाओं पर भी तनाव बढ़ा। बेहतर यही है कि दोनों देश अपने रिश्तों में सुधार करें, यही एकमात्र रास्ता है।”
‘दोस्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं’
फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि ऐसे सैन्य अभियान दोहराने से दोनों देशों और नियंत्रण रेखा पर शांति को नुकसान होगा।
अटल बिहारी वाजपेयी की बात दोहराते हुए उन्होंने कहा—
“दोस्त बदले जा सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।”
उन्होंने भारत और पाकिस्तान से बातचीत बहाल कर स्थायी शांति की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की।
नौगाम विस्फोट के बाद दिया बयान
अब्दुल्ला की यह टिप्पणी उस समय आई है जब जम्मू-कश्मीर के नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत और 29 लोग घायल हुए।
यह विस्फोट उस समय हुआ जब पुलिस, मजिस्ट्रेट और फोरेंसिक टीम लाल किला ब्लास्ट से जुड़े विस्फोटकों की जांच कर रहे थे। यह सामग्री दिल्ली हमले से जुड़े फरीदाबाद मॉड्यूल से बरामद की गई थी।
स्वतंत्र जांच की मांग
फारूक अब्दुल्ला ने नौगाम धमाके की गहन और स्वतंत्र जांच की मांग की।
उन्होंने कहा कि विस्फोटक को संभालने में शुरुआती लापरवाही की वजह से यह त्रासदी हुई, जिसमें 9 लोगों की जान गई और 32 लोग घायल हुए। साथ ही कई घरों को भी नुकसान पहुंचा।
उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा—
“यह हमारी गलती है। विस्फोटक समझने वाले विशेषज्ञों से पहले सलाह लेनी चाहिए थी। गलत तरीके से निपटने का नतीजा सबके सामने है।”
‘हर कश्मीरी पर उंगली उठाई जा रही है’
अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद पूरे देश में कश्मीरी लोगों को संदेह की नजर से देखा जा रहा है।
उन्होंने कहा—
“कब वो दिन आएगा जब हमें भारतीय मानकर देखा जाएगा? हर कश्मीरी को शक की नजर से क्यों देखा जा रहा है?”
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर उन लोगों से जवाब क्यों नहीं लिया जा रहा, जिनकी वजह से कुछ लोगों को गलत रास्ता अपनाने की मजबूरी हुई।
दिल्ली ब्लास्ट को केंद्र ने बताया आतंकी हमला
यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार ने 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए धमाके को आतंकवादी हमला करार दिया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।











