
Jalaun : हमारे देश के प्रमुख नारो में से एक है जय जवान जय किसान भारत एक कृषि प्रधान देश है किसान को देश की रीढ़ कहा जाता है परंतु इस समय किसान अपना दुख किसी से कह नहीं पा रहा है! असमय बारिश ने किसानों की आंखों में आंसू भर दिए हैं जब किसान खेत में जाता है तो वहां गिरी हुई फसल देखकर वह अपनी आंखों में आंसू थाम नहीं पाता है जो धान बाजरा व अन्य फसल को बेचकर किसान घर के सदस्यों के पेट पालने या आगामी फसल की तैयारी के सपने संजोए था असमय हुई बारिश ने उन्हें चकनवाचूर कर दिया है किसानों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। जो किसान फसल काटकर अनाज लेकर मंडी पहुंचा वह भी दुखी है क्यों कि बहुत कम कीमत पर फसल खरीदी जा रही है और किसान फसल बेचने को मजबूर है फसल बेचने से जो रुपया मिल रहा है वह इतना भी नहीं है जितनी किसान लागत लगा चुका है।
अब बस उसे तसल्ली इस बात की हो रही है कि न कुछ से कुछ सही है किसानों ने बताया कि धान मात्र 1500 से 2500 तक के मूल्य पर खरीदा जा रहा है किसान बेबस है रात रात भर अब ट्रैक्टरों पर बिता रहा है खरीद मंडी में इंतजाम नाकाफी हैं! किसानों के बीच चर्चा है कि किसान की आय दोगुनी तो नहीं हुई पर अब तो फसल की लागत भी नही निकल रही है! सरकार को इन तथ्यों पर गौर कर कुछ ठोस कदम उठाने होगे तभी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगा! किसानों को इस समय आर्थिक मदद के साथ इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाने की सख्त आवश्यकता है! किसानों ने बताया आज जिस धान को 15 से 25 रु किलो में खरीदा जा रहा है उसका चावल 60 से 110 रु किलो तक बेचा जाता है! जैसे सरकार शासन प्रशासन ने पराली जलाने पर किसानों के लिए रोक लगा रखी है वैसे ही सरकार को किसानों के समर्थन मूल्य के लिए सख्त आदेश शीघ्र जारी करना आवश्यक है कि कम से कम इस मूल्य पर किसानों की फसल खरीदना अनिवार्य होगा तभी किसानों के घावों पर कुछ मरहम लग सकेगी!











