
जालौन। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। राजकीय मेडिकल कॉलेज उरई और जिला अस्पताल की लापरवाहियाँ आए दिन चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हाल ही में, मेडिकल कॉलेज में आवारा कुत्तों के घूमने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
- मेडिकल कॉलेज में आवारा कुत्तों की एंट्री, मरीजों की सुरक्षा पर सवाल
राजकीय मेडिकल कॉलेज के तीसरी मंजिल पर एक आवारा कुत्ता खुलेआम टहलता हुआ कैमरे में कैद हुआ। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। ऐसे में, मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग गया है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की ओर से सुरक्षा और सफाई व्यवस्था को लेकर किए जा रहे दावों की पोल इस घटना ने खोल दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएँ हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अस्पताल परिसर में स्वच्छता की स्थिति भी बेहद खराब है। जगह-जगह पान-गुटखा की पीक और कूड़े के अंबार से बदबू फैल रही है, जिससे मरीजों के लिए संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
जिला अस्पताल में बदइंतजामी: तीमारदारों को खुद ले जाना पड़ा मरीजों को स्ट्रेचर पर
राजकीय मेडिकल कॉलेज के अलावा जिला अस्पताल उरई की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है। हाल ही में एक वीडियो सामने आया, जिसमें मरीजों के परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचते हुए देखा गया। अस्पताल के वार्ड बॉय और अन्य स्टाफ नदारद थे, जिसके चलते तीमारदारों को खुद ही मरीजों को इधर-उधर ले जाना पड़ा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल में स्टाफ की लापरवाही कोई नई बात नहीं है। कई बार मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे उनकी हालत और बिगड़ जाती है।
- प्रशासन की चुप्पी, आम जनता परेशान
इन घटनाओं के बावजूद अस्पताल प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। जिले के स्वास्थ्य विभाग पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग
स्थानीय नागरिकों और मरीजों के परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाए ताकि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में आवारा जानवरों की एंट्री न हो। स्वच्छता अभियान चलाया जाए ताकि अस्पताल में गंदगी और संक्रमण फैलने से रोका जा सके। स्टाफ की जवाबदेही तय की जाए ताकि मरीजों को समय पर और उचित इलाज मिल सके।
स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी स्थिति में आम आदमी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियाँ न हों और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें।