
उरई, जालौन। अगर मन में दृढ़ संकल्प और जनभागेदारी की भावना हो तो बड़े से बड़े काम को आसानी से पूरा किया जा सकता है। जालौन के कोंच ब्लॉक के अंतर्गत सतोह गाँव सहित आस पास के ग्राम वासियों ने ऐसा ही कर दिखाया है। जिन्होंने विलुप्त हो गई नून नदी को अपनी जनभागेदारी से सिर्फ पुनर्जीवित ही नहीं किया बल्कि अपने गाँव की फसलों के साथ साथ सिंचाई के लिए आस पास के पंद्रह हजार से अधिक किसानों को भी लाभ दिलाने का काम किया है। ये सब कार्य जालौन के जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय की पहल और ग्राम वासियों की दृढ इच्छा शक्ति से ही पूरा होने जा रहा है। इसके लिए निरंतर बिना पारिश्रमिक के लोग श्रमदान कर नून नदी को पुनर्जीवित करने का काम कर रहे है।

बता दे कि जालौन के कोंच ब्लॉक के सतोह गाँव से निकलने वाली नून नदी लगभग विलुप्त ही हो चुकी थी, जिस कारण बरसात में यहाँ के किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था , जल निकासी का प्रबंध न होने से बारिश का पानी खेतों में भर जाता था, जिससे किसानों के खेत जलमग्न हो जाते थे और उनकी फसलों को काफी नुकसान हो जाता था। इसी तरह आस पास के किसानों को जहाँ पानी की जरुरत होती थी वहां नदी लुप्त हो जाने के कारण पानी नहीं पहुंच पाता था, जिससे उन किसानों को सूखे का सामना करना पड़ता था।
विलुप्त हो रही नून नदी के पुनर्जीवित करने के लिए वर्ष 2021 में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने विश्व जल दिवस के मौके पर जालौन के ग्राम कुकरगांव से नून नदी के जीर्णोद्धार के लिए श्रमदान कर अभियान चलाया, जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 नवंबर 2021 को प्रसारित हुए मन की बात में जनसहभागिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया।
जालौन के वर्तमान जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने नून नदी के उदगम स्थल का जब निरिक्षण किया तो उन्होंने किसानों से चौपाल लगाकर उनकी समस्याएं सुनी। जिला प्रशासन ने नून नदी की इस समस्या को गंभीरता से समझा और किसानों की समस्या का निराकरण करने के लिए जिलाधिकारी राजेश पांडेय ने जल संरक्षण के तहत नदी के पुनर्जीवन के लिए एक समिति का गठन किया। शासन से मंजूरी मिलने के बाद इस नदी को जनभागेदारी का अभियान बनाकर बिना कोई सरकारी धन को खर्च किये नून नदी को पुनर्जीवित करने का काम शुरू हुआ।

कुछ दिन पूर्व प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने नदी के उत्थान के लिए विधिवत कार्यक्रम की शुरुवात की और खुद श्रमदान कर नदी के पुनर्जीवन का काम शुरू किया।
जालौन की नून नदी को अपने पुराने रूप में लाने के लिए लोग प्रतिदिन निशुल्क श्रमदान कर रहे है जिसमे सिर्फ सतोह गाँव के लोग ही शामिल नहीं है बल्कि उन गाँवों के किसान भी शामिल है जिन्हे इस नदी के शुरू हो जाने से लाभ मिलेगा। इनमे महिलाएं भी शामिल है। ग्राम प्रधान के द्वारा श्रमदान कर रहे लोगों के लिए अपने खर्चे पर चाय नाश्ते का इंतजाम कराया जा रहा है।

श्रमदान करने वाले किसानों ने बताया कि उनके लिए बेहद ख़ुशी का पल है कि नून नदी के पुनः शुरू हो जाने से अब उन्हें कठिनाइयों से निजात भी मिलेगी और फसलों की सिचाई के लिए पानी भी मिलेगा।
नून नदी सतोह से शुरू होकर लगभग 81 किलोमीटर के क्षेत्र में बहेगी और कालपी में यमुना में मिल जाएगी। जिससे हजारों किसानों को लाभ मिलेगा।

बिना सरकारी धन को खर्च किये जनसहभागिता का उदाहरण देखना है तो जालौन के सतोह में नून नदी का पुनर्जीवित किये जाने का एक अपना अलग ही उदहारण दिखाई देता है। जिसमे जिलाधिकारी राजेश पांडेय की नेक पहल ग्राम प्रधान की ईमानदार मंशा और ग्राम वासियों का सहयोग स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
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