
उरई, जालौन। डकोर विकास खंड की ग्राम पंचायत औंता में विकास कार्यों के नाम पर जमकर लूटखसोट मचाई गई। मामला तब उजागर हुआ जब एक ग्रामीण द्वारा विकास कार्यों के बाबत सरकारी मशीनरी से जांच की मांग की गई। जांच में स्पष्ट हुआ कि ग्राम प्रधान व तत्कालीन सचिव द्वारा करीब 9 लाख रुपये से ऊपर का गबन किया गया। मामले में रिकवरी के आदेश भी दिए गए। लेकिन शिकायतकर्ता का आरोप है कि आदेश के वावजूद रिकवरी तो दूर बल्कि मामले पर ही पटाक्षेप किया जा रहा है। वहीं सम्बंधित अधिकारियों का कहना है कि पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर मामले की दोबारा जाँच की जा रही है।
विवरण में बताते चलें कि औंता ग्राम पंचायत निवासी अनिल वर्मा पुत्र भगवानदास वर्मा ने ग्राम प्रधान आशीष चौहान व तत्कालीन सचिव मंजू दिवाकर पर ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में धांधली और फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। अनिल वर्मा ने इस संबंध में शपथपत्र देकर जिलाधिकारी को शिकायत सौंपी थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि 26 जून 2025 को ही ग्राम निधि और मनरेगा कार्यों में हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर जिलाधिकारी को पत्र सौंपा था। इस पर जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर 24 जुलाई को गांव में स्थलीय निरीक्षण और अभिलेखों का सत्यापन कराया था।
मामले की जांच कर रहे परियोजना निदेशक डीआरडीए अखिलेश तिवारी, नायाब तहसीलदार उरई हरपाल सिंह व सहायक विकास अधिकारी डकोर नरेश चंद्र दुवेदी ने जांच में भृष्टाचार होना पाया था। विभिन्न कार्यों में ग्राम पंचायत में 9 लाख 33 हजार 922 रुपये का गबन पाया गया था। जिसमें स्पष्ट रुप कहा गया था कि उक्त धनराशि की रिकवरी भी की जाए। लेकिन शिकायतकर्ता का आरोप है कि मामले में रिकवरी दूर की बात कई जिम्मेदार ग्राम प्रधान के साथ मिलकर मामले को रफादफा करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बाबत ग्राम पंचायत में दोबारा जांच का खेल शुरू किया गया है।
वहीं मामले को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी राम अयोध्या प्रसाद का कहना है कि मामले में पंचायत सचिव द्वारा पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गए। जिस कारण मामले की दोबारा जांच की जा रही है। यदि विकास कार्यो में गड़बड़ी करने में सचिव, ग्राम प्रधान अथवा अन्य कोई व्यक्ति दोषी पाया गया तो उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।