जालौन : पत्रकार पर बर्बर हमला, ‘क्रॉस केस’ के बाद प्रशासन की ‘जांच समिति’ गठित…

जालौन। जनपद में माधौगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक स्थानीय पत्रकार के साथ हुई बर्बरतापूर्ण मारपीट की घटना ने जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न केवल एक पत्रकार पर हमला है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर एक सीधा प्रहार है, जो बताता है कि व्यवस्था कितनी लचर और असंवेदनशील हो चुकी है।

मामला सामने आने के बाद जब पीड़ित पत्रकार कुलदीप जाटव पर भी पुलिस ने गंभीर धाराओं में क्रॉस केस दर्ज कर दिया, तब जाकर जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने मामला संज्ञान लिया और जांच समिति गठित कर दी। यह विडंबना ही है कि जब दोनों पक्षों की तरफ से क्रॉस केस दर्ज हो गया और मामला तूल पकड़ने लगा, तब जाकर जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। क्या यही सहयोग की अपेक्षा है जो पुलिस और प्रशासन पत्रकारों से करता है?

दरअशल, रामपुरा के राजेंद्र नगर निवासी दैनिक जागरण के स्थानीय पत्रकार कुलदीप जाटव अपने पिता के साथ इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, माधौगढ़ पहुंचे थे। आरोप है कि वहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. हरिशरण प्रजापति और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने मोबाइल चलाने पर टोकने के बाद कुलदीप जाटव को पीट-पीटकर मरणासन्न कर दिया। पिटाई इतनी बेरहम थी कि पत्रकार लहुलुहान हो गया और अस्पताल परिसर में ही काफी देर तक घायल अवस्था में पड़ा रहा।

पत्रकार के पिता राजकुमार ने बताया कि उन्होंने बेटे को बचाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर और स्टाफ की बदसलूकी और गाली-गलौज से वह भी असहाय हो गए, इतना ही नहीं डॉक्टर ने अपने स्टाफ के साथ जहरीला इंजेक्शन लगाने की भी धमकी दी, मारपीट की जानकारी मिलते ही एसडीएम माधौगढ़ मनोज सिंह और सीओ राम सिंह मौके पर पहुंचे और घायल युवक से बात कर पूरी जानकारी ली।

यह घटना सरकारी अस्पतालों में मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। क्या अब अस्पताल, इलाज के बजाय हिंसा के अड्डे बन गए हैं? यह घटना स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को उजागर करती है।

यहां उल्लेखनीय बात यह है कि पत्रकार की इतनी निर्मम पिटाई की गई, मुख्यालय के पत्रकारों ने डीएम और एसपी को इसकी जानकारी दी थी तो जिले के सर्वोच्च अधिकारी माधौगढ़ गए थे और पूरी स्थिति समझ कर पत्रकारों को उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर आये थे। मगर आश्चर्यजनक बात यह है कि इस सब के बाबजूद भी कोतवाली माधौगढ़ में बुरी तरह जख्मी पत्रकार के विरुद्ध जबाबी मामला बनाने की कूतिनीत के तहत डॉक्टर की ओर से एफआईआर दर्ज कर ली गई।

मतलब पुलिस ने इस मामले में दोनो पक्षो पत्रकार और डॉक्टर की तरफ से एफआईआर दर्ज कर ली। यह बात जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के लिए खास तौर पर विचारणीय है। पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों के बावजूद पुलिस प्रशासन की लचर व्यवस्था समझ से परे है। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को इस मामले में न केवल त्वरित बल्कि कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। जब पत्रकार ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता अपनी समस्याओं को किसके सामने रखेगी?

जिलाधिकारी द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति में मुख्य चिकित्साधिकारी, जालौन डॉ. एन. डी. शर्मा और उप जिलाधिकारी माधौगढ़ मनोज कुमार सिंह को शामिल किया गया है। समिति को तीन दिन के भीतर अपनी स्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। सवाल यह है कि क्या यह जांच समिति केवल लीपापोती बनकर रह जाएगी या दोषियों पर वास्तव में सख्त कार्रवाई होगी? क्योकि जिस तरह से क्रॉस केस दर्ज होने के बाद जांच की घोषणा हुई है, उससे जनता और पत्रकारो में यह अविश्वास पैदा हो रहा है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की प्रणाली सिर्फ दिखावा है।

यह घटना सीधे तौर पर सरकार की जिम्मेदारी भी तय करती है। पत्रकारों पर हमले लोकतंत्र पर सीधा हमला हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाचार संकलन के अधिकार का हनन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार और स्वास्थ्य मंत्री को ऐसी घटनाओं को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए, ताकि पत्रकार निडर होकर अपना काम कर सकें। इस तरह की घटनाएं स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और जनता का प्रशासन पर से विश्वास कम करती हैं।

यह भी पढ़ें – प्रेम के नाम पर हैवानियत: मुजफ्फरनगर में युवक की हथौड़े से पीट-पीटकर हत्या
https://bhaskardigital.com/brutality-in-the-name-of-love-young-man-beaten-to-death-with-a-hammer-in-muzaffarnagar/

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें