2040 तक सेवा में रहेंगे जगुआर, लेकिन बढ़ती दुर्घटनाएं चिंता का विषय!

-1960 दशक के क्यों उड़ रहे विमान, पिछले दस साल में 12 जगुआर विमान क्रैश

नई दिल्ली । राजस्थान के चुरू जिले में भानुदा गांव के पास बुधवार को वायुसेना का एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें दो पायलटों की मौत हो गई। इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। भारतीय वायुसेना को लेकर फिर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर 1960 के दशक में बने जगुआर विमान अब क्यों उड़ रहे हैं।


जानकारी के मुताबिक यह इस साल मार्च के बाद जगुआर की तीसरी दुर्घटना है। मार्च में अंबाला में और अप्रैल में जामनगर के पास भी ऐसे हादसे हो चुके हैं। पिछले दस साल में 12 जगुआर विमान क्रैश हो चुके हैं। इसके बावजूद भारतीय वायुसेना ने संकेत दिया है कि ये विमान 2040 तक अपनी सेवाएं देंगे। जगुआर को 1979 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। शुरुआत में 1 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत 40 विमान 1981 से भारत आने शुरू हुए। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने 2008 तक इसका लाइसेंस प्रोडक्शन किया। कुल मिलाकर 160 से ज्यादा जगुआर वायुसेना में शामिल किए गए, जिनमें सिंगल-सीट स्ट्राइक वर्जन, टू-सीट ट्रेनर और नेवल वर्जन भी थे।


एक स्टडीज के मुताबिक 2024 तक भारतीय वायुसेना के पास करीब 115 जगुआर हैं। इनकी उम्र बढ़ाने के लिए कई बार अपग्रेड किया गया है। 2040 तक इनके सेवा में बने रहने के पीछे मुख्य वजह है कि भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल इन्हें बदलने के लिए नए विमान नहीं हैं। स्वदेशी तेजस फाइटर जेट की डिलिवरी में लगातार देरी हो रही है। तेजस को ही जगुआर और मिग-21 जैसे पुराने विमानों की जगह लेनी थी, लेकिन इंजन सप्लाई में दिक्कतों की वजह से इसका उत्पादन समय पर नहीं हो पा रहा।

बता दें वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन चाहिए, लेकिन उसके पास सिर्फ 31 हैं। आयात पर रोक और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के कारण सरकार भी विदेशी विमानों की खरीदारी से बच रही है। ऐसे में विकल्प मिलने तक जगुआर की सेवा लाइफ को बढ़ाना मजबूरी हो गया है। इसके अलावा जगुआर भारत की परमाणु रणनीति में भी अहम भूमिका निभाता है। यह डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक के लिए सक्षम माना जाता है और भारत के परमाणु हथियार गिराने के मिशन में इसकी खास भूमिका है। करीब 60 विमान अब ड्रेन-3 वेरिएंट में अपग्रेड हो रहे हैं, जिनमें आधुनिक इजराइली रडार और अमेरिकी साइडविंडर मिसाइलें भी शामिल हैं।

जगुआर का एक और फायदा यह है कि यह अपेक्षाकृत सस्ता और आसान रखरखाव वाला विमान है। इसके इंजन को सिर्फ 30 मिनट में बदला जा सकता है, जो युद्ध की स्थिति में बड़ी सुविधा देता है। कई देशों ने इसे सेवा से हटा दिया है, जिससे स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता चुनौती बन गई है।

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