
चंडीगढ़ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि एक ओर प्रदेश की भाजपा सरकार का दावा है कि उसने भ्रष्टाचार पर काबू पाया है जबकि हालात इसके उलट है, भ्रष्टाचार कम होने के बजाए बढ़ रहा है। स्थानीय निकाय तो भ्रष्टाचार की खान बन चुके है जहां पर एक भी काम ऐसा नहीं है जो बिना भ्रष्टाचार के हो जाए। अभी तक नव निर्वाचित मेयर, चेयरमैन ने शपथ भी नहीं ली है कि प्रदेश के 62 निकायों में 1400 करोड़ रुपये की गडबड़ी सामने आई है। अधिकारियों ने कामकाज के लिए एडवांस तो लिया पर उसे कहां खर्च किया गया, इसका कोई हिसाब या सबूत नहीं दिया गया है, सबसे ज्यादा गड़बड़ी गुरुग्राम में सामने आई है।
मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि स्थानीय निकाय में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है, हर कागज और हर काम से भ्रष्टाचार की बूू आती हैै क्योंकि भ्रष्टाचार हुआ है। अनेक घोटाले सामने आए पर किसी को सजा तक नहीं मिली, भ्रष्टाचार सामने आने के बाद आरोपी को बचाने की कवायद शुरू हो जाती है। प्रदेश में नए मेयरों के पद संभालने से पहले 10 नगर निगमों समेत 62 निकायों में करीब 1400 करोड़ की टेंपरेरी एडवांस में गड़बड़ी सामने आई है। यह गड़बडी किसी जांच एजेंसी ने नहीं बल्कि विधानसभा की कमेटी ने पकड़ी है। जिसमें पता चला कि अधिकारियों ने कामकाज के लिए एडवांस लिया लेकिन उसे कहां खर्च किया गया, इसका कोई हिसाब या सबूत नहीं दिए गए। सबसे ज्यादा गड़बड़ी गुरुग्राम में पकड़ी गई है। सीधे तौर पर इसे गइन ही माना जाएगा। सरकार को इसकी न्यायिक जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसा दंड दिया जाए कि दूसरा इसके बारे में कभी सोच ही न सके।
कुमारी सैलजा ने कहा है कि विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित मामलों की कमेटी ने इन 10 निगमों के वित्तीय लेन-देन की 2019-20 के दौरान की जांच की जिसमें 1,395.98 करोड़ रुपए का ऑडिट किया जा रहा है। इसमें टेंपरेरी एडवांस को लेकर गड़बड़ी मिली।विधानसभा की समिति फिलहाल ऑडिट रिपोर्ट पर चर्चा कर रही है। कुल 1,395.98 करोड़ रुपए में से 781.75 करोड़ रुपए अकेले फरीदाबाद नगर निगम और 403.86 करोड़ रुपए गुरुग्राम नगर निगम में बकाया हैं। वर्ष 2018-19 में शहरी स्थानीय निकायों में बकाया अस्थायी अग्रिम राशि 1,316.40 करोड़ रुपए थी। पैनल ने संपत्ति कर, भवन योजना आवेदन, बकाया प्रमाण पत्र आदि से संबंधित अभिलेखों को पिछले कई वर्षों से ऑडिट के लिए प्रस्तुत नहीं किए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की सभी नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम की जांच करवाई जाए तो देश का सबसे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।