
सीतापुर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत सामग्री भुगतान में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता सामने आई है। सीतापुर जिले के लहरपुर, महमूदाबाद और खैराबाद विकास खंडों पर नियमों का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन ब्लॉकों ने शासन और डीसी मनरेगा के आदेशों की खुलेआम अनदेखी करते हुए निर्धारित सीमा से कई गुना अधिक राशि का भुगतान किया।
क्या है पूरा मामला?
शासन के निर्देशों के अनुसार, मनरेगा की सामग्री आपूर्ति के लिए केवल 14% तक की राशि का ही भुगतान किया जाना था। जिले के 19 में से 16 विकास खंडों ने इन नियमों का सख्ती से पालन किया, लेकिन उपरोक्त तीनों ब्लॉकों ने मनमाने ढंग से भुगतान की सीमा को लांघ दिया। डीसी मनरेगा चंदनदेव पांडेय के आदेशों की अनदेखी करते हुए उन्होंने स्वीकृत राशि से कई गुना ज्यादा रकम जारी कर दी।
वित्तीय अनियमितता का ब्यौरा
खबर के अनुसार, तीनों ब्लॉकों में भारी अंतर के साथ भुगतान किया गया है, जो सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा करता है।
लहरपुर: इस विकास खंड को ₹53.90 लाख का भुगतान करना था, लेकिन उन्होंने ₹1,36,25,908 का भुगतान किया, जो स्वीकृत राशि से लगभग तीन गुना अधिक है।
महमूदाबाद: यहां ₹22.37 लाख की स्वीकृत राशि के मुकाबले ₹96,49,063 का भुगतान कर दिया गया।
खैराबाद: इस ब्लॉक में ₹94.18 लाख का आदेश था, लेकिन भुगतान ₹98,48,679 का हुआ।
कड़ी कार्रवाई की तैयारी
इस पूरे मामले पर डीसी मनरेगा चंदनदेव पांडेय ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने साफ कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और शासनादेश की अवहेलना करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करती है और मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना में भ्रष्टाचार की संभावनाओं को उजागर करती है।
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