
नई दिल्ली : देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के निर्यात को कवर करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत है, जिससे अर्थव्यवस्था को वैश्विक झटकों से सुरक्षा मिलेगी। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने सोमवार को मुंबई में वार्षिक बैंकिंग सम्मेलन एफआईबीएसी 2025 में कही। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 695 बिलियन डॉलर है, जो 11 महीने के व्यापारिक निर्यात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई आमतौर पर विदेशी मुद्रा भंडार को आयात के आधार पर मापता है, न कि निर्यात के आधार पर।
आरबीआई नियमों की समीक्षा के लिए प्रकोष्ठ बनेगा
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक के विनियमों की समीक्षा के लिए एक नियामक समीक्षा प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। यह प्रकोष्ठ 5-7 वर्षों में कम से कम एक बार सभी विनियमों की समीक्षा करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई मूल्य स्थिरता और आर्थिक विकास के उद्देश्य से मौद्रिक नीति को संचालित करता रहेगा और वित्तीय स्थिरता को मजबूत करना उसका प्राथमिक लक्ष्य है।
बैंकों और कॉरपोरेट्स से निवेश बढ़ाने की अपील
एफआईबीएसी 2025 में बोलते हुए मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई बैंकों के ऋण विस्तार और उभरते क्षेत्रों में निवेश के उपायों की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने बैंकों और कॉरपोरेट्स से आग्रह किया कि वे निवेश चक्र को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आएं, जिससे वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़े और आम जनता तक लाभ पहुंच सके।
तकनीक में निवेश और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना
मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई और विनियमित संस्थाएं विकास की गति बढ़ाने और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से एक ही टीम के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच उभरती चुनौतियों का सामना करने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए तकनीक, एआई और मशीन लर्निंग में निवेश जरूरी है।
विकास और मूल्य स्थिरता का संतुलन
आरबीआई गवर्नर ने जोर दिया कि केंद्रीय बैंक विकास के उद्देश्य के साथ मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए मौद्रिक नीति संचालित करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत और लचीले आर्थिक ढांचे से लैस है, और अब हमें वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना होगा।