
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने एक सतबरी गांव में चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक महिला भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इस पूरे रैकेट को सानू नाम के एक वांछित अपराधी द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो अवैध गतिविधियों में पहले भी शामिल रहा है। छापेमारी से ठीक पहले सानू मौके से फरार हो गया था। उसे पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि कॉल सेंटर जिस भवन से संचालित हो रहा था। वह सानू के छोटे भाई रिहान उर्फ टिन्नी के नाम पर पंजीकृत है। पुलिस ने इमारत को सील कर दिया है। छापेमारी के दौरान पुलिस को बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी बरामद हुए हैं, जिनमें कई कंप्यूटर सिस्टम, मोबाइल फोन, वॉइप सॉफ़्टवेयर, विदेशी डेटा सेट व धोखाधड़ी में उपयोग किए जाने वाले दस्तावेज शामिल हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पूरा सेटअप देखने में एक वैध अंतरराष्ट्रीय कस्टमर-सपोर्ट सेंटर की तरह तैयार किया गया था, जिससे किसी को संदेह न हो सके, सभी गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है, जिससे ऑपरेशन के पैमाने और अन्य साइबर फ्रॉड नेटवर्क्स से इनके संबंध की जांच की जा सके, बता दें कि दिल्ली पुलिस द्वारा कार्रवाई का यह हिस्सा एक बड़े ऑपरेशन से जुड़ा है। क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड व पंजाब में कई स्थानों पर छापेमार कार्रवाई की थी, जिसमें डिजिटल अरेस्ट और इन्वेस्टमेंट फ्रॉड मामलों में शामिल कई मास्टरमाइंड पकड़े गए थे। इस ऑपरेशन में पुलिस को दुबई-हैंडलर्स से जुड़े करीब 5 करोड़ रुपये मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी का ट्रेल भी मिला था।
इन छापों में साइबर सेल ने कई फर्जी कंपनियों का भी खुलासा किया है। इस बड़ी कार्रवाई में पुलिस ने लगभग 5 करोड़ रुपये रखने वाले 3 क्रिप्टो वॉलेट भी बरामद किए हैं, साथ ही कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, लैपटॉप, चेकबुक व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपी
सुमित कुमार, अतुल शर्मा (कुरुक्षेत्र), राहुल मांडा (हिसार), वरुण अंचल उर्फ लक्की (जालंधर) और अमित कुमार सिंह उर्फ कार्तिक (सारण) शामिल हैं। जांच से पता चला है कि ये गिरोह फर्जी पुलिस-एजेंसी की पहचान बनाकर लोगों को डराते थे।डिजिटल अरेस्ट के नाम पर उन्हें ब्लैकमेल करते रहते थे। इसके अतिरिक्त वे फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म बनाकर ऊंचे मुनाफे का लालच देकर निवेश ठगी करते थे। गिरोह आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों, पीजी रहवासी युवाओं व बेरोजगारों को लालच देकर म्यूल अकाउंट खोलने और फर्जी ई-कॉमर्स कंपनियां बनाने में भी लगाता था, जिनका इस्तेमाल पैसों के लेन-देन को छिपाने के लिए किया जाता था। पुलिस का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी में शामिल रहा है। फरार मास्टरमाइंड सानू की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि जांच आगे बढ़ने के साथ और बड़े खुलासे हो सकते हैं।















