सिर्फ चार हजार रुपए में 50 हजार रुपए का ब्याजमुक्त लोन, वापस करने की टेंशन नहीं…

– सिर्फ दस दिन पहले खोली गई शिवराजपुर में फर्जी कंपनी
– पचास हजार के लोन का झांसा देकर चार-चार हजार ठगे
– किसी ने गहने गिरवी रखे तो किसी ने बकरी-गाय बेची
– फतेहगढ़-आगरा सहित कई जिलों में ठगी का इतिहास
 
कानपुर। नारी सशक्तीकरण के दौर में गरीब महिलाओं को सब्ज-बाग दिखाकर ठगने वालों का भंडाफोड़ हुआ है। सिर्फ चार हजार रुपए में पंजीकरण के जरिए एक सप्ताह में पचास हजार का झांसा देकर दस दिन में 71 महिलाओ को ठगने की कारस्तानी सामने आई है। सपनों को साकार करने की खातिर गुरबत से जूझती महिलाओं ने माटी के घर में छिपाकर रखे इक्का-दुक्का गहने भी गिरवी रख दिये थे। किसी के पास गहने नहीं थे तो गाय-बकरी बेचकर रजिस्ट्रेशन कराया था। फर्जी फाइनेंस कंपनी में मास्टरमाइंड मुख्य ब्रांच मैनेजर बना था, जबकि शातिर के शागिर्द सहायक ब्रांच मैनेजर, फील्ड ऑफिसर और चपरासी बने थे। लोन का झांसा पुख्ता करने के लिए बायोमेट्रिक अनिवार्य़ था, लेकिन कंप्यूटर बदहाल था। पोल खुलने लगी तो फर्जी कंपनी का शटर गिराकर ठग रफू-चक्कर हो गए, लेकिन खाकी की मुस्तैदी से एक सप्ताह में दबोच लिये गये।


बेमियादी अवधि का 50 हजार का ब्याजमुक्त लोन
दरअसल, शिवराजपुर कस्बे के भटपुरा निवासी डॉ. देवेंद्र कुशवाहा का घर किराये पर लेकर सितंबर के आखिरी सप्ताह में कुछ शातिरों ने शिल्पा फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी खोलकर सरकारी लोन दिलाने का झांसा देना शुरू किया। बैंक में सीतापुर निवासी उत्तम वर्मा उर्फ रजत मुख्य शाखा प्रबंधक था। बैंक में शिकार फंसाने के लिए सुल्तानपुर के चांदा निवासी जितेंद्र गौतम को शाखा प्रबंधक बनाया गया था, जबकि सीतापुर का प्रदीप गौतम उर्फ संतोष पाण्डेय सहायक शाखा प्रबंधक था, जबकि शैलेश गौतम को फील्ड आफिसर की जिम्मेदारी थी। ठगों ने गांव-गांव से गरीबों को झटपट लोन दिलाने के एवज में कमीशन का झांसा देकर तमाम एजेंट भर्ती किये। दस दिन में ठगों ने शिवराजपुर और बिल्हौर की 71 महिलाओं को आफिस बुलाकर चार हजार रुपए में पंजीकरण कराने के बाद एक सप्ताह में सरकारी योजना के जरिए पचास हजार का ब्याजमुक्त लोन बेमियादी अवधि के लिए दिलाने का वादा किया। गरीबी के हिसाब से रकम बड़ी थी और पंजीकरण राशि अपेक्षाकृत कम। ऐसे में गरीब महिलाएं ठगों के झांसे में फंसकर अपनी जमा-पूंजी लूटा बैठीं।

शातिर ने शिकार को बनाया था शाखा प्रबंधक
शातिरों का खेल जारी था, इसी दरमियान आगरा और फतेहगढ़ सहित कई जिलों में शातिरों का इतिहास सामने आने लगा तो महिलाओं ने अपनी गाढ़ी कमाई वापस मांगना शुरू कर दिया। ऐसे में कंपनी का शटर गिराकर ठग मंडली लापता हो गई। 10 अक्टूबर को थाना समाधान दिवस पर पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल को शिवराजपुर और बिल्हौर की महिलाओं ने आपबीती सुनाई तो उन्होंने डीसीपी पश्चिम दिनेश त्रिपाठी को तत्काल सख्त कार्रवाई करने और ठगों को दबोचने का आदेश दिया। जांच का जिम्मा मिला बिल्हौर एसीपी अमरनाथ यादव को। पड़ताल में मालूम हुआ कि, किसी वक्त मास्टरमाइंड रजत वर्मा ने सुल्तानपुर के चांदा निवासी जितेंद्र गौतम को शिकार बनाया था। बाद में जितेंद्र भी गिरोह में शामिल हो गया। जांच के दरमियान, सर्विलांस के जरिए ठगों की लोकेशन ट्रैस हुई तो शिवराजपुर पुलिस ने चार अभियुक्तों को छतरपुर बंबा के पास से दबोचकर कब्जे से लैपटॉप, बायोमैट्रिक मशीन, सैकड़ों आधार कार्ड, ठगी के शिकार लोगों के फोटोग्राफ के साथ काफी मात्रा में भरे और खाली फार्म बरामद हुए हैं। ठगों के पास से 56 हजार रुपए नगद के साथ मोटरसाइकिल व फर्जी नम्बर प्लेट भी मिली है।


हांफते कंप्यूटर पर बायोमैट्रिक का झांसा
ठगों ने महिलाओं को लोन का विश्वास दिलाने के लिए बायोमैट्रिक की व्यव्स्था बनाई थी, लेकिन हांफते-कांपते बदहाल जर्जर कंप्यूटर पर। दरअसल, थंब इंप्रेशन मशीन को कंप्यूटर से जोड़ा गया था, जैसे ही आधार कार्ड को वर्ड फाइल पर दर्ज करने केबाद शिकार का अंगूठा थंब इंप्रेशन मशीन पर रखा जाता था तो कंप्यूटर स्क्रीन पर अंगूठे की इमेज दिखने लगती थी। महिलाओं को यही इमेज दिखाकर बताया जाता था कि वैरीफिकेशन हो गया है, अब एक सप्ताह में लोन की रकम खाते में आएगी। फर्जीवाड़े पर शक न होने पाए, इस नाते शातिरों ने आधारकार्ड और बैंक पासबुक की फोटोकॉपी के साथ लोन लेने वाली महिला को पति के साथ वाली फोटो देना अनिवार्य किया था। ऐसी तमाम औपचारिकताओं के कारण गरीब महिलाओं को यकीन हो जाता था कि, ब्याजमुक्त सरकारी लोन बेमियादी अवधि के लिए मिलेगा, जिसे धीरे-धीरे चुकता कर दिया जाएगा।


पहले ब्लिंकिट कंपनी में डिलीवरी ब्वायज थे शातिर
पुलिस पूछताछ में शातिरों ने बताया कि, किसी वक्त चारों लोग ब्लिंकिट कंपनी में डिलीवरी ब्वायज थे। कुछ बड़ा करने और जल्दी पैसा कमाने की जुगतमें थे। इसी दरमियान रजत वर्मा के संपर्क में आए और गरीब महिलाओं को ठगने का धंधा शुरू कर दिया। ठगों ने बताया कि, कुछ समय पहले फतेहगढ़ में दफ्तर खोला था, लेकिन कामयाबी नहीं मिली तो शिवराजपुर नया ठिकाना बनाया था। ठगों ने बताया कि, अनपढ़ गरीबों को निशाना बनाना आसान था और सिर्फ चार हजार रुपए वसूलते थे, क्योंकि मामूली रकम के लिए जल्दी कोई पुलिस में शिकायत करने नहीं जाता है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक, ठगों ने आगरा, सीतापुर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में फर्जी कंपनी के जरिए गरीब महिलाओं को ठगा है।

कोट्स…
अनपढ़ और गरीबों को ब्याजमुक्त लोन का झांसा देकर ठगने वालों का आपराधिक इतिहास है। सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।
–दिनेशचंद्र त्रिपाठी, डीसीपी पश्चिम

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