
Punjab News : पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों के अपमान करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान लाने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में सरकार ने सख्त कानून बनाने का मन बनाया है, जिसमें अपराधियों को सजा-ए-मौत या उम्रकैद की सजा का प्रावधान हो सकता है। इस प्रस्तावित विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश करने के लिए सरकार ने कानूनी विशेषज्ञों से राय लेना शुरू कर दिया है, ताकि आगामी कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी मिल सके।
यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब पंजाब में धार्मिक भावनाओं को लेकर अक्सर विवाद की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इससे पहले, साल 2018 में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने इसी तरह का एक विधेयक पारित किया था, जिसे केंद्र सरकार ने वापस कर दिया था। केंद्र का तर्क था कि अब भारतीय दंड संहिता (IPC) में धार्मिक ग्रंथों के अपमान को लेकर सख्त प्रावधान शामिल हैं, और सरकार को इसे लागू करने के लिए स्वयं एक्ट बनाना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, पंजाब सरकार इस बार फिर से विधेयक को विधानसभा में लाने की योजना बना रही है। सरकार ने इसके लिए विशेषज्ञों से सलाह ली है ताकि इसे कानूनी दांवपेच और संवैधानिक बाधाओं से मुक्त किया जा सके। यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वाले अपराधियों को कठोर सजा मिल सकती है, जिसमें सजा-ए-मौत या जीवनभर की कैद शामिल हो सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि इस कानून का मुख्य उद्देश्य धार्मिक सद्भाव और सामाजिक शांति बनाए रखना है। सरकार का दावा है कि इससे धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाएगा और आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगेगी।
वहीं, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के बीच इस प्रस्तावित कानून को लेकर चर्चा जारी है। कुछ का मानना है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है, जबकि अन्य इसे कानून के कड़े प्रावधानों के रूप में देख रहे हैं।