
इंदौर। शहर की सड़कों पर हर दिन ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। रालामंडल से लेकर सांवेर-उज्जैन रोड तक लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं, मगर जिन जगहों पर जाम लगता है, वहां न तो ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद होते हैं, न कोई अधिकारी और न ही किसी जनप्रतिनिधि की सुध नजर आती है।
कल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के दौरे पर शहर घंटों तक ठप रहा। नेताओं की रैली और शक्ति प्रदर्शन के बीच जनता परेशान होती रही, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। पूरे शहर की रफ्तार थमी रही, जबकि पुलिस चालान काटने में व्यस्त रही।
जीरो टॉलरेंस में भर रहा ट्रैफिक पुलिस का खजाना
मार्च के अंत से इंदौर ट्रैफिक पुलिस ने ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है, जिसके तहत नियम तोड़ने वालों पर कोई माफी नहीं मिलती – सीधा चालान बनता है। बीते छह महीने में पुलिस ने 67,830 चालान बनाए और 2 करोड़ 91 लाख 80 हजार 500 रुपये का समन शुल्क वसूला है।
सबसे ज्यादा 34,161 चालान बिना हेलमेट, और फिर 10,305 बिना नंबर प्लेट तथा 6,520 ट्रैफिक संकेत उल्लंघन के बनाए गए। पिछले साल जनवरी से जून के बीच 1.28 करोड़ का समन शुल्क वसूला गया था, जबकि इस साल अब तक लगभग दोगुना वसूला जा चुका है।
अन्य प्रमुख चालान आंकड़े:
- तीन सवारी: 1,575
- सीट बेल्ट: 2,311
- ब्लैक फिल्म: 3,491
- शराब पीकर वाहन चलाना: 492
करोड़ों के बकाया चालान
आईटीएमएस से जारी चालान की वसूली के लिए पीओएस मशीनें, स्मार्ट सिटी के साथ सिस्टम इंटीग्रेशन और रियल टाइम एक्शन फॉर्मूला जैसे उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी केवल 1-2% चालान ही समय पर भरे जा रहे हैं। पुलिस बल की कमी के कारण भी यह योजना धरातल पर सफल नहीं हो सकी है।
जाम के मुख्य हॉटस्पॉट
हर दिन इन क्षेत्रों में भारी जाम की स्थिति रहती है, पर ट्रैफिक पुलिस नदारद रहती है:
- रालामंडल
- बंगाली चौराहा
- रेलवे स्टेशन
- फोनिक्स बायपास
- पालदा
- देवास नाका
- खंडवा रोड
- सांवेर-उज्जैन रोड
जनता की नाराजगी – प्रशासन की अनदेखी
कलेक्टर खुद कह चुके हैं कि अब पुलिस का ध्यान जाम खुलवाने पर होना चाहिए, न कि चालान पर। इसके बावजूद भी जाम वाली जगहों पर पुलिस दिखाई नहीं देती। जनता अब सवाल कर रही है कि क्या चालान की कार्रवाई ही प्रशासन की प्राथमिकता बन गई है?
ये भी पढ़े- हिमाचल में कांस्टेबल भर्ती अब राज्य काडर से, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी