- शलभ गुप्ता बिभाब, फाउंडर – बिभाब कैपिटल
नई दिल्ली: भारत निर्यात (एक्सपोर्ट) के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है और देश की निर्यात यात्रा एक उल्लेखनीय सफलता की कहानी में बदल रही है। उदाहरण के लिए, मोबाइल निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 में 6-7 बिलियन डॉलर से बढ़कर आज 25 बिलियन डॉलर का हो गया है, जो एक प्रभावशाली ग्रोथ ट्रैजेक्टरी का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही निर्यात के मामले में ग्लोबल लीडर्स के साथ अंतर (गैप) को कम करने में देश के तेज विकास को भी दिखाता है। वास्तव में, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी सरकारी पहल के परिणाम के रूप में, मोबाइल निर्यात की वैल्यू में हिस्सेदारी 5-6% से बढ़कर 17-18% हो गई है, जिसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।
बता दें कि है कि भारत के निर्यात में ग्रोथ एक ‘मेगा डिकैडल’ कहानी की ओर इशारा करता है, जो ग्लोबल सप्लाई चेन को नया आकार देने और देश को इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए तैयार है। इलेक्ट्रॉनिक इंपोर्ट जल्द ही पूरी तरह से बंद होने की उम्मीद के साथ, भारत एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के शिखर पर है।
इस ग्रोथ स्टोरी को घरेलू निवेशकों का भी भरपूर समर्थन मिला है, जिन्होंने सिर्फ 3 साल में 80 अरब डॉलर (6,64,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया है, जो 3 अरब डॉलर (24,900 करोड़ रुपये) के विदेशी निवेश को भी पीछे छोड़ देता है। यह भारत की आर्थिक क्षमताओं और घरेलू स्तर पर भरोसे की ताकत का प्रदर्शन करता है।
प्रमुख आंकड़े
- मोबाइल निर्यात: 6-7 बिलियन डॉलर (2017-18) से बढ़कर 25 बिलियन डॉलर (आज)
- वैल्यू कैप्चर: 5-6% (2017-18) से बढ़कर 17-18% (आज)
- घरेलू निवेश: 3 साल में 80 अरब डॉलर (6,64,000 करोड़ रुपये)
- विदेशी निवेश: 3 साल में 3 अरब डॉलर (24,900 करोड़ रुपए)
प्रगतिशील और सहायक सरकारी नीतियों और मजबूत निर्यात क्षमता वाली इंडस्ट्री व सेक्टर में बढ़ते निवेश के साथ, भारत एक ग्लोबल स्तर पर निर्यात के मामले में पावरहाउस (एक्सपोर्ट पावरहाउस) बनने की ओर अग्रसर है।