
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र का उत्पादन लगभग छह गुना बढ़कर वर्ष 2024–25 में 11.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। इसी अवधि में निर्यात भी 38,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 3.27 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह वृद्धि भारत की नीति, नवाचार और निवेश आकर्षित करने की क्षमता का प्रमाण है। सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के साथ-साथ उत्पादन-से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है। इन प्रयासों से अब तक लगभग 25 लाख रोजगार सृजित हुए हैं और देश ने 4 बिलियन डॉलर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है।
मोबाइल निर्माण भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स क्रांति का केंद्र बन चुका है। वर्ष 2014-15 में 18,000 करोड़ रुपये का उत्पादन वर्ष 2024–25 में बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है, जहाँ 300 से अधिक इकाइयाँ सालाना लगभग 33 करोड़ मोबाइल फ़ोन बनाती हैं। मोबाइल फ़ोन निर्यात में भी जबरदस्त उछाल आया है — 2014-15 के 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर अब यह 2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2024 में भारत से एपल का निर्यात रिकॉर्ड 1,10,989 करोड़ रुपये तक पहुँच गया। स्मार्टफ़ोन विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है और अब अधिकांश उपकरण घरेलू स्तर पर तैयार किए जाते हैं।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 इस उपलब्धि का प्रतीक है। नई दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। इसमें 150 देशों से 1.5 लाख से अधिक आगंतुक, 7,000 प्रतिनिधि और 400 कंपनियाँ भाग लेंगी। 5G, 6G, एआई, साइबर सुरक्षा और स्मार्ट मोबिलिटी जैसी तकनीकों पर केंद्रित सत्र भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता को दर्शाएँगे।
सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएँ लागू की हैं। पीएलआई योजना ने उत्पादन और निर्यात दोनों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) और एसपीईसीएस जैसी योजनाएँ स्थानीय उत्पादन और उच्च-मूल्य घटक निर्माण को प्रोत्साहित कर रही हैं। ईसीएमएस के तहत अब तक 249 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनसे 1.15 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है। यह योजना 1.42 लाख प्रत्यक्ष रोजगार और कई गुना अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायक होगी।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 का लक्ष्य भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिज़ाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) का वैश्विक केंद्र बनाना है। यह नवाचार, अनुसंधान और डिज़ाइन-आधारित विनिर्माण को बढ़ावा देती है।
भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स यात्रा केवल उत्पादन के आँकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि यह तकनीकी आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक है। निरंतर नीतिगत समर्थन और वैश्विक साझेदारी के साथ, भारत वर्ष 2030–31 तक 500 बिलियन डॉलर के घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण इकोसिस्टम के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है।