
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे वैश्विक तेल बाजार में हलचल मच गई है। इन प्रतिबंधों के चलते भारत की प्रमुख रिफाइनरियों और कंपनियों पर प्रभाव पड़ा है, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों पर, जो रूस से सीधे तेल आयात करती हैं।
रिलायंस, जो भारत की सबसे बड़ी तेल खरीददार है, का कहना है कि वह भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही काम करेगी। कंपनी का लगभग आधा क्रूड ऑयल, जो उसकी 3.5 करोड़ टन क्षमता वाली रिफाइनरी में इस्तेमाल होता है, रूस से आता है। इससे कंपनी को तीव्र आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह, नायरा एनर्जी, जिसमें रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है, भी इन प्रतिबंधों से प्रभावित होगी। खासतौर पर, जब यूरोपीय संघ ने जुलाई 2025 में रूस से तेल की पूरी आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अमेरिका के आंकड़ों के अनुसार, भारत का कुल क्रूड ऑयल आयात में से 36% हिस्सा रूस से आता है, जिनमें से लगभग 60% सप्लाई रोसनेफ्ट और लुकोइल ने की है। यह स्थिति भारत और चीन जैसे देशों पर रूस से तेल की आयात कम करने का दबाव बना रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन देशों को रूस से तेल खरीदने से रोकने के लिए दबाव डाला है, साथ ही उन पर 25% सेकेंडरी टैक्स और रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का भी संकेत दिया है।
पुतिन ने इन प्रतिबंधों को ‘असौहार्दपूर्ण कदम’ करार देते हुए कहा है कि इससे रूस की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। रूस के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध, खासतौर पर रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर, रूस की अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित नहीं करेंगे। ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि रूस के राष्ट्रपति को ऐसा लगता है, और कहा कि वह छह महीने बाद स्थिति का मूल्यांकन करेंगे।
वहीं, वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड का दाम गुरुवार को 5% बढ़कर प्रति बैरल $65.50 हो गया था, जो वैश्विक तेल कीमतों में तेजी का संकेत है।















