लद्दाख में भारत-चीन के बीच विवाद अभी थमा नहीं, ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए भारतीय वायुसेना ने कर ली पूरी तैयारी

बीजिंग। पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में सोमवार को चीन (China) से झड़प के बाद सीमा पर तनाव चरम पर है। इस झड़प में भारत के 20 के जवान शहीद हो गए। इसे बाद से चीन और भारत सेनाएं आमने-सामने हैं। चीन के विमान सीमा पर मंडरा रहे हैं। वहीं भारतीय विमानों का दस्ता भी यहां पहुंच चुका है। चीन और भारतीय वायुसेना की तुलना की जाए तो भारत का पलड़ा ज्यादा भारी दिखाई देता है।

भारत और चीन के ये एयरक्राफ्ट तैनात

हाल के दिनों में लद्दाख से लगी सीमा पर चीनी फाइटर जेट्स की गतिविधयां तेज हुईं हैं। चीन के जे-10, जे-11 जैसे लड़ाकू विमान सीमा पर उड़ान भर रहे हैं। इसके जवाब में भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट मिग-29, सुखोई एसयू 30 एमकेआई और ‘टैंक किलर’ अपाचे हवा में गश्त लगा रहे हैं।

भारत से ताकतवर नहीं चीनी वायुसेना

बेलफर सेंटर (Belfer center) की मार्च में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया। ऐसे में यहां ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में दावा किया गया है कि चीन की वायुसेना भारत के सामने कमजोर साबित होगी।

भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी

बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों से ज्यादा बेहतर हैं। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन विमानों को तैनात कर रखा है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू-30 जेट्स मल्टी-रोल विमान हैं। वहीं चीन का जे-10 ही सिर्फ ऐसी योग्यता है। बेलफर की रिपोर्ट बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमरीका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है।

तिब्बत में चीनी लड़ाकू विमानों को यह घाटा

इस अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में खराब मौसम की स्थिति में चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ उड़ान भर सकने में सक्षम है। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी ताकत के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के पास हवा ईंधन भरने की क्षमता कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।

IAF चीफ ने चीन की चाल के बारे में बताया

चीनी वायुसेना के इन गतिविधियों के बारे में बताते हुए भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया के अनुसार हमने लद्दाख सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स के असामान्य गतिविधियों की जानकारी हासिल की है। भारतीय वायुसेना किसी भी प्रकार के चीनी कार्रवाई का जवाब देने को तैयार है।

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