
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना 97 तेजस मार्क-1ए विमानों की एक बड़ी डील करने जा रही है, जो अब तक की सबसे बड़ी है। यह डील हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ होने वाली है और इसकी लागत लगभग 66,500 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुबंध गुरुवार को हो सकता है, क्योंकि शुक्रवार को वायुसेना से 36 पुराने मिग-21 विमान रिटायर हो जाएंगे। इससे वायुसेना की ताकत घटकर न्यूनतम 29 स्क्वाड्रन पर आ जाएगी।
भारत के पास रह जाएंगे 29 स्क्वाड्रन
मिग-21 विमानों के रिटायरमेंट के बाद भारत के पास कुल 29 स्क्वाड्रन रह जाएंगे। हर स्क्वाड्रन में 16 से 18 लड़ाकू विमान होते हैं। वहीं, पाकिस्तान के पास वर्तमान में 25 स्क्वाड्रन हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान चीन से 40 जे-35ए पांचवी पीढ़ी के स्टेल्थ जेट्स खरीदने की तैयारी में है।
चीन इन विमानों के मामले में भारत से काफी आगे है। उसके पास भारत की तुलना में चार गुना अधिक लड़ाकू विमान और बमवर्षक विमान हैं, साथ ही अन्य सामरिक क्षमताएं भी विकसित हैं।
तेजस का विकास और आपूर्ति धीमी
वायुसेना की एक आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, यदि चीन और पाकिस्तान के साथ कोई खतरा उत्पन्न होता है, तो 42.5 स्क्वाड्रन भी पर्याप्त नहीं होंगे। एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा था कि तेजस का विकास और आपूर्ति काफी धीमी है, और भारतीय वायुसेना को हर साल कम से कम 40 नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है।
फरवरी 2021 में हुए 83 तेजस मार्क-1ए विमानों के पहले कॉन्ट्रैक्ट के तहत, एचएएल को फरवरी 2024 से फरवरी 2028 तक विमानों की डिलीवरी करनी है, जिसकी लागत 46,898 करोड़ रुपये है। हालांकि, अभी तक वायुसेना को एक भी विमान नहीं मिला है। एचएएल का दावा है कि वह इस साल अक्तूबर तक पहले दो विमानों की डिलीवरी कर देगा।
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