
डॉक्टर बनना एक सम्मानजनक और चुनौतीपूर्ण करियर है, लेकिन इसकी राह देश के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। खासकर जब हम भारत और अमेरिका की तुलना करते हैं, तो साफ दिखाई देता है कि अमेरिका में डॉक्टर बनने की प्रक्रिया न सिर्फ लंबी है, बल्कि बेहद महंगी भी है। वहीं भारत में यह रास्ता थोड़ा छोटा और किफायती माना जाता है।
अमेरिका में डॉक्टर बनने की लंबी और महंगी प्रक्रिया
अमेरिका में डॉक्टर बनने के लिए छात्र को सबसे पहले चार साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स करना पड़ता है, जिसमें साइंस से जुड़े विषय पढ़ाए जाते हैं। इसके बाद छात्रों को एक कठिन प्रवेश परीक्षा – MCAT (Medical College Admission Test) – पास करनी होती है। इस स्कोर के आधार पर उन्हें मेडिकल स्कूल (Doctor of Medicine – MD) में एडमिशन मिलता है, जो खुद चार साल का होता है।
यानी अमेरिका में केवल पढ़ाई और बुनियादी ट्रेनिंग में ही लगभग 8 साल का समय लग जाता है, और इसमें लाखों डॉलर का खर्च आता है।
भारत में डॉक्टर बनने की प्रक्रिया सरल और सस्ती
भारत में छात्र 12वीं कक्षा (PCB – फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी) के बाद सीधे NEET जैसी प्रवेश परीक्षा के जरिए MBBS कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। यह कोर्स 5.5 साल का होता है, जिसमें 4.5 साल की पढ़ाई और 1 साल की इंटर्नशिप शामिल होती है।
खर्च के लिहाज से भी भारत की मेडिकल शिक्षा अमेरिका की तुलना में कहीं ज्यादा सस्ती होती है, खासकर अगर सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल जाए।
MBBS बनाम MD: क्या अंतर है?
भारत में MBBS और अमेरिका में MD को लगभग समान स्तर की डिग्री माना जाता है। दोनों ही पेशेवर डॉक्टरी की डिग्रियां हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि:
- भारत में MBBS अंडरग्रेजुएट स्तर पर होती है,
- जबकि अमेरिका में MD एक पोस्टग्रेजुएट डिग्री मानी जाती है, जिसमें प्रवेश के लिए पहले स्नातक की डिग्री अनिवार्य है।
क्या भारतीय MBBS ग्रेजुएट अमेरिका में बिना रेजिडेंसी के प्रैक्टिस कर सकते हैं?
यह सवाल भारतीय मेडिकल छात्रों के मन में अक्सर आता है। जवाब है — कुछ हद तक हां, लेकिन सीमित परिस्थितियों में।
अब तक अमेरिका में International Medical Graduates (IMGs) को अमेरिका में डॉक्टर बनने के लिए USMLE परीक्षा पास करनी होती है और फिर Residency Program में भाग लेना पड़ता है। बिना रेजिडेंसी के उन्हें मेडिकल प्रैक्टिस की अनुमति नहीं मिलती थी।
लेकिन अब स्थितियां थोड़ी बदल रही हैं।
रेजिडेंसी के बिना प्रैक्टिस के मौके कहाँ मिल रहे हैं?
हाल के वर्षों में अमेरिका में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए 18 से अधिक राज्यों ने विदेशी डॉक्टरों के लिए नियमों में कुछ छूट दी है।
FSMB (Federation of State Medical Boards) के मुताबिक, कई राज्यों ने ऐसे प्रोग्राम शुरू किए हैं जिनके तहत अनुभवी अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरों को अस्थायी मेडिकल लाइसेंस दिया जा सकता है — बशर्ते कि:
- उन्होंने अपने देश में पहले से प्रैक्टिस की हो और लाइसेंस प्राप्त हो,
- उन्होंने USMLE Step 1 और Step 2 पास किया हो,
- और वे शुरुआती समय में सुपरविजन के तहत काम करें।
कौन-कौन से राज्य दे रहे हैं यह सुविधा?
एनपीआर (NPR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्लोरिडा, वर्जीनिया, विस्कॉन्सिन, इडाहो, मिनेसोटा और टेक्सास जैसे राज्य अब ऐसे विदेशी डॉक्टरों को सीमित स्तर पर प्रैक्टिस करने की अनुमति दे रहे हैं। हालांकि यह लाइसेंस अक्सर अस्थायी होता है और फुल लाइसेंस के लिए आगे और शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं।